लोकपाल भण्डारी
रिया बड़ी उपखंड मुख्यालय पर जैन समाज द्वारा वर्तमान शासन नायक प्रभु महावीर स्वामी के 2622वे जन्मकल्याणक दिवस अहिंसा के रूप में मनाया गया महावीर तातेड ने भगवान महावीर के सिद्धांतो के बारे में जानकारी देते हुए भजनों के माध्यम से बताया।
जैन स्थानक में सभी जैन समाज के महिला पुरुष एकत्रित हुए जहां पर भगवान महावीर के जन्म कल्याणक पर भक्ति आराधना की गई तत्पश्चात 8:00 बजे सभी महिला पुरुष जुलूस के रूप में रवाना होकर भगवान महावीर के जयकारे लगाते हुए त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर की जैन धर्म की जय जय कार के नारे लगाते हुए श्री कल्पतरु पारसनाथ जैन मंदिर पहुंचकर भक्ति आराधना कर कुशलता की मंगल कामना की तत्पश्चात पुजारी हीरालाल वैष्णव द्वारा भगवान की आरती कर भक्तों में प्रभावना वितरण की गई।
भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए पांच नियम स्थापित किए, जिन्हें हम पंच सिद्धांत के नाम से भी जानते हैं। ये पांच सिद्धांत अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, सत्य और अपरिग्रह हे। और उनके दिए गए उपदेशों को स्मरण करते हैं।साथ ही इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है। जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म बिहार के कुंडाग्राम में हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। कहा जाता है कि 30 वर्ष की आयु में इन्होंने राज महलों के सुख को त्याग कर सत्य की खोज में जंगलों की ओर चले गए।
घने जंगलों में रहते हुए इन्होंने बारह वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिसके बाद ऋजुबालुका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान महावीर ने समाज के सुधार और लोगों के कल्याण के लिए उपदेश दिए। इस अवसर पर जैन समाज के महिला पुरुषों और बच्चो ने भाग लिया।