रूण फखरुद्दीन खोखर
रमजान के महीने में हर मस्जिद में बैठते हैं एतकाफ करने वाले
रूण-दुनिया में सभी धर्मों में ऋषि मुनियों, संत महात्माओं और पीर पैगंबरों ने एकांत में बैठकर ईश्वर या अल्लाह की इबादत आराधना की है इन्होंने इसको सर्वश्रेष्ठ भी बताया है और हर धर्म के अनुयाई अपने पीर पैगंबरों और संत महात्माओं के बताए हुए रास्ते पर चलने का प्रयास करते रहते हैं।
इसी कड़ी में मुस्लिम बंधु रमजान के इस पाक महीने में दुनिया के ऐश आराम सब कुछ छोड़कर पुरुष मस्जिद में बैठकर और महिलाएं घरों में एंकात में इबादत (आराधना) करते हैं। मौलाना अब्दुल हकीम अशरफी और मौलाना मोहम्मद रफीक अशफाकी ने बताया इंसान पूरे साल दुनिया के कामों में लगा रहता है, लेकिन कुछ समय अल्लाह के लिए निकालना पड़ता है और रमजान के महीने से पवित्र कोई महीना हो ही नहीं सकता, इसीलिए मुस्लिम बंधु इस महीने में दुनियादारी छोड़कर अपने नबी की बताई हुई सुन्नत(रास्ते) पर चलते हुए एक महीने तक या इस महीने के आखिरी 10 दिन तक दुनियादारी को छोड़कर मस्जिद में बैठकर नमाज पढ़ते हुए और रोजे रखकर ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करते हुए अपने देश में अमन चैन शांति खुशहाली भाईचारे की और अपने किए हुए (अजाब)पाप की मुक्ति के लिए इबादत में लीन रहते हैं।
उन्होंने बताया कि इस दौरान यह बंदे अपने घर भी नहीं जा सकते हैं, इनके रोजा रखने और खोलने की पूरी व्यवस्था मस्जिद में ही की जाती है, पूरे 10 दिन के बाद जैसे ही ईद का चांद नजर आता है तो इन्हें मस्जिदों से फूल माला पहनाकर और इस्तकबाल (स्वागत) करते हुए इनके घरों तक भी मोहल्ले वासियों द्वारा पहुंचाया जाता है। मदीना जामा मस्जिद के पेश इमाम रियासतअली और नूरानी जामा मस्जिद के पेश इमाम एजाज अली ने बताया कि हमारे हुजूर नबी साहब ने भी ऐतकाफ किया था, इसीलिए पूरे शहर या गांव में अगर एक भी बंदा मस्जिद में बैठकर एकांत में अल्लाह की इबादत करता है तो उस पूरे शहर या गांव की बला या गंदी नजर दूर हो जाती है, अगर कोई बंदा ज्यादा सवाब (पुण्य) कमाना चाहता हो तो एक महीने का एतकाफ जरूर करना चाहिए, नहीं तो 10 दिन से तो चूकना भी नहीं चाहिए। मौलाना और पेश इमाम राशिद अली ने बताया कि इस बार गांव रूण की मस्जिदों में 15 बंधु बैठकर सब की भलाई के लिए दुआएं कर रहे है।
*रमजान महीने का आखिरी जुम्मा आज*
रमजान महीने का आखिरी जुम्मा आज हैं और इस पवित्र महीने में दूर-दूर से मुस्लिम बंधु मस्जिदों में जुम्मे की नमाज अदा करने के लिए आएंगे। गौसिया मस्जिद के पेश इमाम मौलाना हाफिज इकरामुद्दीन और मदरसा कादरिया चिश्तिया के संचालक अरबाब आलम बाड़मेरी ने बताया रमजान के इस महीने में प्रत्येक सदस्य का फितरा (लगभग ढाई किलो अनाज)देना जरूरी है, इसी प्रकार अपने माल की जकात ढाई प्रतिशत के हिसाब से देनी जरूरी है। यह पूरा काम ईद की नमाज के पहले-पहले अदा कर लेना चाहिए।