कांग्रेस से बाहर निकलने का रास्ता तलाशने में जुटे हैं पायलट

पत्रकार बाबूलाल सैनी

राजस्थान कांग्रेस की सियासत में इन दिनों भूचाल आया हुआ है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गूगली व पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की दहाड़ ने कांग्रेस हाईकमान को सकतें में ला दिया है। पार्टी सुप्रीमो जहां गहलोत व पायलट के रिश्तों में आईं कड़वाहट को दूर करने में पूरी तरह विफल हो गया। मुख्यमंत्री गहलोत जहां पूरे प्रदेश का दौरा कर कांग्रेस की सरकार रिपीट करने के लिए प्रयासरत हैं।

वहीं पायलट की मंशा है कि किसी भी कीमत पर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट ना हो। पायलट के इरादे अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।
पायलट की पांच दिवसीय जन संघर्ष यात्रा के बाद 15 मई को जयपुर में आयोजित सभा में की गई जनसभा में पायलट ने सीधे तौर पर गहलोत को ही निशाने पर लिया । साथ हाईकमान को भी कोसने से नहीं चुके। पायलट की दहाड़ पार्टी व सरकार विरोधी ही मानी जा रही है। 15 मई को दिखाई राजनैतिक ताकत के साथ साथ अपने समर्थक विधायकों की मौजूदगी से पायलट ने यह अहसास कराने का संदेश दे दिया है कि वो किसी सूरत में अब सुलह के इच्छुक नहीं हैं। उनकी मंशा संभवतया यह है कि पार्टी उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही कर बाहर का रास्ता दिखाये ताकि सहानुभूति लेकर प्रदेश का दौरा कर कांग्रेस को दुबारा किसी भी हाल में रिपीट ना होने दिया जा सके । जबकि गहलोत खेमें की मंशा यह है कि पायलट खुद व खुद पार्टी से किनारा कर अपना कोई अलग आशियाना ढूंढ ले । इसी पशोपेश में दोनों ही धड़े उलझे हुए हैं। राजनैतिक विश्लेषक मानना हैं कि दोनों ही धड़ों में सुलह के सारे रास्ते बंद हो चुकें हैं। ऐसे में पायलट कांग्रेस से बाहर जाने का रास्ता तलाश रहे।
मुख्यमंत्री गहलोत ने मानेसर गये विधायकों पर करोड़ों रुपए का खेल खेलने की बात कह कर फेंकी गई गूगली से कांग्रेस की सियासत में भूचाल ला दिया वही पायलट ने पांच दिवसीय यात्रा के बाद जयपुर में सभा आयोजित कर अपने इरादे जता दिए कि अब वो किसी हालत में समझौते के मूड में नहीं है तथा आर-पार की लडाई लडने का संकेत दे दिया। सभा में पायलट समर्थक विधायकों ने अपनी पूरी ताकत झोंक कर इरादों पर पुख्ता मोहर भी लगा दी। सभा में 2 मंत्रियों सहित 14 विधायकों व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का शामिल होकर गहलोत के खिलाफ एकजुट होना प्रदेश कांग्रेस की सियासत में बहुत बड़ा मायने रखता है। गहलोत पिछले 50 वर्षों से राजनीति में है तीन मर्तबा सीएम, प्रदेश अध्यक्ष, केन्द्र में कई बार मंत्री तथा संगठन में भी अनेकों पदों पर रहे हैं। इस दौरान उनके राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों ने कभी सीधे तौर पर चुनौती नहीं दी। लेकिन यह संभवतया पहला अवसर होगा जब गहलोत को पायलट के रूप डाइरेक्ट चुनौती मिली है।

Aapno City News
Author: Aapno City News

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