जीत हार की हैट्रिक कर चुके महरिया की लक्षमनगढ में सियासी डगर नहीं है आसान

पत्रकार बाबूलाल सैनी

लक्ष्मणगढ़ 21 मई । राजनीति में जीत और हार की हैट्रिक का रिकार्ड कायम करने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया की लक्षमनगढ में सियासी डगर इतनी आसान नहीं है। जितनी सियासी हलकों में मानी जा रही है। राजनीति कै इतिहास में लक्षमनगढ विधानसभा क्षेत्र ऐसा है जहां भाजपा ने मात्र एक ही बार कमल खिलाने में कामयाब हुई है।


पूर्व केंद्रीय मंत्री ने हाल ही भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है तथा उसके पीछे मंशा लक्षमनगढ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडने की बताई जा रही है। इसी मंशा के अनुकूल ही सोशल मीडिया पर उनके लक्षमनगढ का दौरा करने की बात भी वायरल होने लगी है। यह दिगर है कि दौरें में उनके साथ भाजपा के संगठन व पार्षद नजर नही आये हालांकि भाजपा में पार्टी हाईकमान के आदेश को ही माननें की परम्परा रही है। इसी से आश्वस्त महरिया समर्थकों का मानना है कि लक्षमनगढ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी की टिकट महरिया को ही मिलनी है इसीलिए ही उन्होंने पार्टी का दामन थामा है । टिकट मिलते ही पार्टी का संगठन, कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि व दावेदार महरिया के साथ जूटकर एकजूटता से पार्टी प्रत्याशी को जिताने की कोशिश कर क्षेत्र में भाजपा का दूसरी मर्तबा कमल महरिया के रूप में ही खिलेगा ।


लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र में महरिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती पिछले काफी समय से सक्रिय एवं पंचायत चुनाव व पालिका चुनाव में अहम भूमिका निभाने व पार्टी के मजबूत दावेदार माने जाने वाले तथा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मात्र 34 मतों से चुनाव हारने वाले क्षेत्र के दिग्गज नेता दिनेश जोशी के रूप में मिल रही है जो किसी हालत में पार्टी में अपनी दावेदारी को कमजोर नही मानते उनका मानना है कि उन्होंने पार्टी को मजबूत करने व आगे बढ़ाने में कार्यकर्ताओं के साथ भरपूर मेहनत की है तथा इसी का नतीजा है कि पंचायत चुनाव व पालिका चुनाव में पार्टी का न केवल मत प्रतिशत बढ़ा है बल्कि सदस्यों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इसी पंचायत समिति चुनाव में प्रधान प्रत्याशी रहे भागीरथ गोदारा ने भी पिछले काफी समय से पार्टी को मजबूत बनाने में भरसक प्रयास किए है तो किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हरिराम रणवा की पार्टी में न केवल मजबूत पकड़ है बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी रणवां पहली पसंद है। ऐसे में तीनों ही नेता पार्टी में मजबूत दावेदार होने तथा अन्य आधा दर्जन नेताओं की भी दमदार दावेदारी के चलते महरिया की लक्षमनगढ में सियासी डगर आसान नजर नहीं आ रही है। महरिया ने अपने राजनैतिक कैरियर में 7 मर्तबा लोकसभा क्षेत्र के चुनाव लड़ें है जबकि एक बार विधानसभा के चुनाव में अपना भाग्य आजमा चुके हैं। लोकसभा चुनाव में महरिया ने जीत कु हैट्रिक बनाकर दिग्गज नेता के रूप स्थापित हुए इस दौरान केन्द्र में मंत्री भी रहे हैं । यह महरिया की राजनीति का स्वर्णिम काल रहा । हालांकि महरिया ने लोकसभा के चार चुनाव हारे भी है तथा हार की हैट्रिक भी बनाई है । जबकि विधानसभा का एक बार चुनाव लडा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। महरिया ने जीत हैट्रिक भाजपा प्रत्याशी के रूप में बनाई है।

Aapno City News
Author: Aapno City News

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