रूण फखरुद्दीन खोखर
चिताणी भागवत कथा में मुख्य अतिथि भजन सम्राट सुखदेव महाराज ने भजनों की स्वर लहरियां बिखेरी
रूण- चिताणी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा में कथावाचक चेतनराम महाराज ने प्रहलाद चरित्र का प्रसंग सुनाया और बताया कि छोटी सी उम्र में ही प्रह्लादभक्त पर भगवान की भक्ति का रंग चढ़ गया और खूब भक्ति करी और यह बात जब पहलाद के पिता हिरण्यकश्यप को पता चला कि मेरा पुत्र ही मेरे शत्रु नारायण का नाम लेता है तो हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की बहुत कोशिश करी बहुत कष्ट दिए पहाड़ों से गिराया ,हाथी से कुचलवाया, आग से जलाया विश दीया लेकिन भगवान नारायण की कृपा से पहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ,
इसीलिए कहा गया है जाको राखे साइयां मार सके ना कोई बाल न बांका कर सके चाहे जग बैरी होय और छोटे बालक के वचनों का मान रखने के लिए और अपने प्रिय भक्तकी रक्षा के लिए भगवान नरसिंह अवतार लेकर खंबे से प्रकट हुए है और हिरण्यकश्यप राक्षस का उद्धार करके अपने भक्त की रक्षा करी और इन्होंने बताया कि भगवान तो आज ही प्रत्येक खंभे में विराजमान है पर आज उनको निकालने के लिए प्रह्लाद जैसा भक्त नहीं है और आगे उन्होंने गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाई बताया कि इस संसार में जब तक हमारा अच्छा समय है तब तक सब साथ है हमारे पास सब कुछ है तब तक सब हां जी हां जी करेंगे और जब हमारा समय खराब होता है या हमारे जीवन पर कोई संकट आता है तो कोई भी साथ नहीं देता है,
अपने भी दूर हो जाते हैं गजेंद्र के जीवन पर संकट आया तो अपने पुत्रों ने अपनी पत्नियों ने भी साथ छोड़ दिया और जब सब साथ छोड़ दे तो भगवान की शरण में चले जाना चाहिए तो गजेंद्र ने भगवान की पुकार लगाई भगवान को याद किया तो भगवान गजेंद्र की करुण पुकार सुनकर हरि अवतार लेकर आए गजेंद्र की रक्षा करी,समुद्र मंथन की कथा सुनाई भगवान ने कच्छप अवतार धारण किया समुद्र मंथन हुआ उसने अनेक प्रकार के रतन निकले अमृत का कलश लेकर धन्वंतरी भगवान प्रकट हुए भगवान ने मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृत पान करवाया । इस मौके पर भजन सम्राट सुखदेव महाराज ने भी मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया और भजनों की प्रस्तुतियां देकर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। इस भागवत कथा में कथा प्रेमी गायों के लिए भी दिल खोलकर दान कर रहे हैं विशेष घोषणा आज मंगलवार को दानदाताओं द्वारा की जाएगी।