रूण फखरुद्दीन खोखर
गांव ग्वालू में श्रीमद् भागवत कथा की शुरुआत गुरुवार से हुई
रूण-निकटवर्ती गांव ग्वालू के आथूणा बास में गुरुवार से निम्बङी के महन्त ब्रह्मदास की याद मे झुनझुनोदिया परिवार की ओर से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन शुरू हुआ। इस दौरान ठाकुरजी के मंदिर से कथा स्थल तक कलश यात्रा महिलाओं ने मंगल गीत गाते हुए डीजे के साथ निकाली गई, जिसमें काफी धर्म प्रेमी बंधुओं ने भाग लिया इस दौरान शुक्रवार को कथा वाचक आचार्य हुकमाराम शास्त्री ने अपने प्रवचनों में कहा कि मनुष्य के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए कथा स्थल पर जाना जरूरी हैं,
उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई छोटा बच्चा भी अच्छी बात कहता है तो उसको ग्रहण करो और बुरी बात अगर कोई बुजुर्ग भी कहता है तो उसको दिमाग मैं मत लो। इसी प्रकार उन्होंने कई ऋषि-मुनियों के दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि भक्ती के पुत्र ज्ञान व वैराग्य के वृद्ध होने का कारण नारद ऋषी को बताया।
नारद श्रीमद्भागवत व सत्संग का मार्ग से ज्ञान व वैराग्य को युवा अवस्था पाई।
इधर आत्मदेव विप्र के संतान नही होने के कारण दुखी होकर वन मे चला जानै पर अपना शरीर नदी मे त्यागने वाले ही थे कि एक संत का आगमन हुआ।
संत ने जीवन त्यागने का कारण जानकर पुत्र होने का आशीर्वाद मे फल दिया। आत्मदेव की पत्नी धुनधुली ने फल व संत की परीक्षा लेने के फल गाय को दे दिया। गाय ने पुत्र गोकर्ण को जन्म दिया। धुनधुली ने झूठा नाटक करके मेरे संतान होने वाला हैं तो उनकी बहन के गर्भ मे पुत्र होने पर उनको दे दिया उनका नाम धुनधुकारी रखा बङा होने पर वेश्य की संगत मे पङकर अपना जीवन दुखी बना लीया। धन के लोभ मे वैश्या ने ऊनको मार डाला । इस तरह प्रेत योनी मे चले गये गोकर्ण का उधार किया। शुक्रवार को कथा स्थल पर काफी संख्या में गवालू सहित आसपास के गांवो के धर्म प्रेमियों ने भाग लिया।