रूण फखरुद्दीन खोखर
रूण- निकटवर्ती गाँव ग्वालु मे चल रही कथा मे चतुर्थ दिवस मे आचार्यश्री ने कहा कि शिक्षा से ही मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता है और आज के दौर में शिक्षा सबसे उत्तम धन है, जिसको कोई बांट भी नहीं सकता है, यही बात हर धर्म के महापुरुषों ने भी अपने शास्त्रों में कही है उन्होंने बताया कि भक्त प्रहलाद द्वारा बाल्को को भगवत शिक्षा व भक्ती का ज्ञान दिया।
इन्होंने श्लोक के माध्यम से बताया
उतम शिक्षा लीजिये,जदपिनिचि पे होय।
परियो अपावन ठौर मंह,कंचन तजे ना कोय
प्रहलाद भक्त कह रहिये हे संसार मे मनुष्य जन्म दुर्लभ हैं उसमे भी ज्ञान की प्राप्ति दुर्लभ, कवित्व व विवेक आना और भी दुर्लभ है। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित होना चाहिए। अपने प्रवचनों में आचार्य शास्त्री ने बताया प्रभु भक्ती के छः साधन है
1-प्रार्थना 2-सेवा-पुजा 3-स्तुती
4-वंन्दन 5- स्मरण 6-कथा श्रवण इनमें से कोई भी आप एक भक्ति कर लीजिए आप का बेड़ा पार हो जाएगा, इसी तरह
माता-पिता कितने भी पापी दुराचारी हो यदि सदाचारी हुवे तो पुत्र सभी को सदगती दिला देवे।
प्रहलाद ने पिता का उद्धार कर दिया। शास्त्री ने बताया की
सतयुग-वैशाख सुदी 3 से प्रारम्भ हुवा 17लाख 29हजार वर्ष को हुवे मनुष्य की उम्र 1 लाख वर्ष थी,
त्रेता युग-12लाख 96 हजार वर्ष मनुष्य-10000 वर्ष की उम्र,
द्वापर युग-9लाख 64 हजार वर्ष मनुष्य की उम्र-1हजार वर्ष और
अभी कलयुग-4लाख 32 हजार मनुष्य की आयु-100 वर्ष हो गई हैं इसीलिए हमें समय का सदुपयोग करते हुए अपने हाथों से दान करना चाहिए और माता-पिता और गुरु का मान करना चाहिए। इस मौके पर भागवत कथा में आसपास के गांव के भी श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।