रूण फखरुद्दीन खोखर
101 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, क्षेत्र में शोक की लहर
सोमवार सुबह 10बजे किया जाएगा दाह संस्कार
रूण- निकटवर्ती गांव सेनणी के उच्च व्यक्तित्व के धनी कर्नल साहब के नाम से मशहूर शिवजीसिंह राठौड़ ने रविवार देर शाम को 101 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली, उनके निधन की खबर सुनकर क्षेत्र में शोक की लहर छा गई। इनके परिजनों ने बताया कि गांव में ही सोमवार को 10 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा।
*एक नजर में कर्नल साहब का पहचान परचय*
इनकी पहचान का दायरा किसी एक भूमिका तक सीमित नहीं था कुशल योद्धा ,युवा पीढ़ी की प्रेरणा तथा आदर्श व्यक्तित्व के धनी जिनमें सादगी तथा विनम्रता की ताकत देखने को मिलती थी। जिनके नाम से गांव सेनणी की पहचान प्रांतीय स्तर पर ही नहीं अपितु राष्ट्रीय भूपटल पर होती है, ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी कर्नल साहब शिवजीसिंह राठौड़ का जन्म सेनणी गांव में राठौड़ वंश के चांदावत कुल में भोमिया सा ठाकुर साहब केप्टन सरदार सिंह जी के घर 08 जनवरी 1923 को हुआ ।
आप के पिताजी भोमियासा ठाकुर साहब केप्टन सरदार सिंह चांदावत की पहचान जोधपुर रसाला रेजिमेंट के बहादुर योद्धा के रूप में थी जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेते हुए अदम्य साहस का परिचय देकर इस्राइल के हाइफा शहर में ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी ।
आपने प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात चौपासनी स्कूल जोधपुर से शिक्षा प्राप्त की।
आप सन 1941 में कोटा उम्मेद इन्फेंट्री रेजीमेंट में सेकंड लेफ्टिनेंट के पद से सेना में भर्ती हुए तथा सन 1942 में कराची (पाकिस्तान) में तैनात हुए ।
आपने सन 1942 में उम्मेद इन्फेंट्री रेजीमेंट से 2 विश्व युद्ध में भाग लिया तथा बसरा (इराक) अबादान (ईरान) कैरो (मिश्र) अल्लेपो,हमा,होम्स(सीरिया) में अनेक महत्वपूर्ण सामरिक स्थानों पर तैनात होने के पश्चात 1946 में वापस भारत लौटे ।
सन 1947 में भारत पाक विभाजन के पश्चात 1949 में पाकिस्तान के आक्रमण के समय आपने पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर में अनेक जगहों पर अद्भुत रणकौशल का परिचय दिया ।
सन 1950 में आप भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर पहुंचे।
1962 में भारत चीन युद्ध के समय आपने आकस्मिक रूप से प्राप्त आदेशों की पालना करते हुए अरुणाचल प्रदेश में तैनाती के पश्चात विषम परिस्थितियों में भारतीय सेना की की चौकियों को बचाते हुए अद्भुत रणकौशल का परिचय दिया ।
1965 में आप राष्ट्रपति भवन में सुरक्षा यूनिट के मुख्य कमांडिंग अधिकारी के रूप में तैनात हुए ।
सन 1965 के भारत-पाक युद्ध में आपने साडेवाला(जैसलमेर) चौकी पर कमांडिंग लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर तैनात रहते हुए ऐतिहासिक अदम्य रणकौशल का परिचय देते हुए पाक सेना को भारतीय पोस्ट से खदेड़ कर पाकिस्तान की काफी चौकियों पर कब्जा किया जिसके लिए आपकी यूनिट को भारत सरकार द्वारा 2 वीर चक्र ,सेना मैडल तथा 5 वीरता पुरस्कारो से सम्मानित किया । इस लड़ाई में आपके पलटन के 26 जवान शहीद हुए ।
सन 1971 के भारत-पाक युद्ध में आपने नसीराबाद से सेंट्रल कमांडेड के रूप में सेवाएं दी ।
सन 1967 से 1972 में नसीराबाद सेना भर्ती बोर्ड में सेवा देते हुए आपने हजारों युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण दिया
इसी समय आपने हमारे गांव सेनणी व आसपास के क्षेत्र के हजारों युवाओं को भारतीय सेना में भर्ती किया ।
आप जुलाई 1973 को भारतीय सेना की गौरवमय सेवा से सेवानिवृत्त हुए ।
क्षेत्र के आदरणीय हस्ती के रूप में यह चर्चित थे, इन्होंने अपने कार्यकाल में अपने गांव के आसपास के 36 कोम में से भारतीय सेना में जवानों को लेने में अहम भूमिका निभाई जिसकी चर्चा आज भी गांव में होती है