रूण फखरुद्दीन खोखर
पाँच लाख का सहयोग कर जिले भर में की मिसाल पेश
रूण- राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय मूंडवा के स्टॉफ ने गुरु पूर्णिमा के दिन अपनी कर्मभूमि के प्रति लगाव और निष्ठा को मुक्त हस्त से विद्यालय विकास के लिए अपने वेतन की खरी कमाई में से शाला को समर्पित कर जिले में अपनी अनोखी पहचान कायम की है।
एक शिक्षक और गुरु की उदारता का अंदाज केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्राचार्य के एक निवेदन पर समस्त स्टॉफ ने मात्र एक घंटे में(2,50,000) दो लाख पचास हजार रुपये एकत्रित कर विद्यालय विकास को गति प्रदान कर शिक्षक समाज और सरकारी लोकसेवकों को बड़ा संदेश दिया है।
इसी दिन करीब ढाई लाख की कंप्यूटर लैब प्राथमिक विद्यालय के लिए स्थापित करने की घोषणा कर डाली।
प्राचार्य भँवरलाल जाट ने बताया कि गुरु पूर्णिमा को मेरे साथियों ने सार्थक करते हुए स्टॉफ के नारायण राम ईनाणियां ने 31हजार, भँवरलाल लाल ने 51हजार ,सुनीता माथुर ने 21000, ऋचा वर्मा ने 21 हजार, हनुमान राम ईनाणियां ने 11 हजार, सेवाराम छरंग ने 11 हजार, मुरलीधर गौड ने 11 हजार, रजनी कस्वा ने 11हजार, ओमप्रकाश भुँवाल ने 11हजार, सुचिता झा ने 5100, जुगलकिशोर जोशी ने 5100, किरण शर्मा ने 5100, विमला बारठ ने 5100 ,अरुणा वर्मा ने 5100 ,संतोष पाराशर ने 5100 व पाँच पँखे, सुषमा माथुर ने 5100, निरमा चौधरी ने 5100, कंचन चौधरी ने 5100, सरला जाखड ने 5100, बनवारी मंडा ने 5100, धीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने 5100, भीकम चंद त्रिपाठी ने 5100 व अशोक मेहरा ने 5100 विद्यालय विकास में सहयोग किया।इससे पहले सभी ने ढाई लाख के कंप्यूटर प्राथमिक भाग में लगाने की बड़ी घोषणा एक जुलाई को ही कर दी गई थी।
*80 साल बाद हो रहा है विद्यालय का जीर्णोद्धार*
प्राचार्य भँवरलाल जाट ने बताया कि आजादी के पहले सन् 1939 में श्रीकिशन बंशीलाल चांडक परिवार ने मूंडवा में कन्या पाठशाला बनाकर अपनी उच्च सोच और समाज सेवा को ध्यान में रखते हुए महान कार्य किया।समय के साथ विद्यालय क्रमोन्नत होता गया और मूल विद्यालय से करीब 700 मीटर दूरी पर माध्यमिक विद्यालय बनाकर सारडा परिवार ने इस कडी को आगे बढाया ।
वे बताते हैं कि ढाई साल पहले जब बालिका विद्यालय में बतौर प्राचार्य कार्यभार ग्रहण किया तो पहला लक्ष्य नामांकन/खेलकूद/परीक्षा परिणाम और उच्च शिक्षा के लिए बेटियों को प्रेरित करना रखा मगर प्राथमिक भाग की जर्जर अवस्था को देखकर मन खिन्न हो जाता था।प्राचार्य ने अंबुजा सहित तमाम जनप्रतिनिधियों से भी निवेदन किया मगर दो वर्षों में राज्य स्तर पर सौ से अधिक खिलाड़ी, बेहतरीन बोर्ड परीक्षा परिणाम, दिल्ली विश्वविद्यालय में चयन, जेट और नीट तक की परीक्षा में यहाँ की बेटियों ने अपनी उड़ान भरी है ।साथ ही दुगुना नामांकन होने के बावजूद जो सहयोग मिलना चाहिए था, वह सहयोग नहीं मिल पाया।सारडा परिवार,चांडक परिवार और बंग परिवार की प्रेरणा से इस साल हमारी हिम्मत बड़ी और स्टॉफ ने भी मुक्त हस्त से दान प्रदान कर असंभव को संभव कर दिखाया।
*मेरा सपना :मेरी जिद्द*
पत्रिका से बातचीत में प्राचार्य ने बताया कि मैं चाहता हूँ कि मूंडवा में कन्या महाविद्यालय बने।हम नामांकन को लेकर लक्ष्य के करीब हैं ।साथ ही मूंडवा की बेटियों का अधिक से अधिक केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश हो जिससे आने वाले समय में मूंडवा प्रशासनिक बेटियों वाला कहलाये।
*हर वर्ष करवाते हैं सीयूईटी की फ्री कोचिंग*
प्राचार्य भँवरलाल जाट का स्टॉफ और रुपम संस्थान की टीम ने मिलकर गत वर्ष करीब सोलह विद्यार्थियों का जेएनयू/डीयू और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में चयन करवाया।उससे प्रेरित होकर इस साल करीब पचास बच्चों ने आवेदन कर फ्री कोचिंग प्राप्त की है।
*बस!कुछ सहयोग और मिल जाए*
प्राचार्य ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे,प्रत्येक कक्ष में डिजीटल एल इ डी और प्रत्येक कक्ष में म्यूजिक सिस्टम लगाने की हार्दिक इच्छा है।जो राशि रोकडी एकत्रित हुई है, उससे चांडक जी द्वारा प्रदत्त राशि में मिलाकर प्राथमिक भाग की पूर्ण मरम्मत का लक्ष्य है।
*हर साल स्टॉफ करता है सहयोग*
विद्यालय में खेल गतिविधियों सहित गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और नवाचारों को मूर्त रुप देने के लिए स्टॉफ ने गत ढाई वर्षोंमें बराबर सहयोग दिया है।मैं सौभाग्य शाली हूँ कि मुझे ऐसा स्टॉफ मिला है।
*चलाते हैं स्टेशनरी बैंक*
विद्यालय में पुस्तके और ड्रेस तो सरकार देती ही है मगर जरुरतमंद बेटियों को स्टेशनरी भी स्टॉफ सहित कुछ दानदाता आगे आते हैं ।यह प्रकल्प सतत् जारी रहेगा।