के के सनाढय
नाथद्वारा
कमल तलाई”मनोरथ में प्रभु को लाड लड़ाकर प्रभुको कराया नौका विहार कमल तलाई के
मनोरथ में दर्शन के लिए उमड़ा वैष्णव जन का जन सैलाब।
अधीक मास में प्रतिदिन होने वाले मनोरथ मे श्रीनाथजी की गौ शाला के भव्य मनोरथ मे उमड़ा जनसैलाब ।
नाथद्वारा वल्लभ सम प्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा मन्दिर में अधीक मास के चलते प्रतिदिन ठाकुरजी को विभिन्न आलौकिक स्वरूपों मनोरथ के साथ उत्सव मनाया जा रहा है जिसके चलते आज श्रीजी प्रभु के अधिक मास के मनोरथ में राजभोग के दर्शन में श्रीजी प्रभु को लाल पीली चुंदड़ी का पिछोड़ा के रूप के वस्त्र एवं श्री मस्तक पर गोल पाग पर ग्वाल पगा पर मोर चंद्रिका का अद्भुत श्रृंगार धरा कर रसिक भाव से” चीरहरण” के मनोरथ में में विराजित किया गया एवं लाडले लाल प्रभु को राजभोग दर्शन मे रसिक भाव से यमुना तट की छटा में”चीर हरण” के मनोरथ में विराजित किया गया
भोग आरती दर्शन में श्री प्रभु के मनोरथ में श्रीजी प्रभु श्री मदन मोहन प्रभु के रूप में डोल तिवारी में हिंडोरा में झूलकर कमल चौक में यमुना जी में नौका विहार की छटा में सखियों संग रसिक भाव से “कमल तलाई” की साज सज्जा के मध्य नाव में बिराजे एवं श्री लाडले लाल प्रभु निज मंदिर मे हिंडोलना में झूलकर तत्पश्चात कमल चौक में रसिक भाव से कमल तलाई में रसिक प्रिय संग के भाव से यमुना जी के मध्य कमल तलाई की छतरी में “कमल तलाई” के मनोरथ में विराजे पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथजी की हवेली में गो.ति.श्री 108 श्री इंद्रदमन जी श्री राकेश जी महाराज श्री की आज्ञा एवं गो.ची.श्री 105 श्री विशाल जी श्री भूपेश कुमार जी बावा श्री की प्रेरणा से हो रहे अधिक मास के मनोरथ मेंआज ,अधिक श्रावण कृष्ण बारस को प्रभु के अधिक मास के मनोरथ में श्रीजी प्रभु में राजभोग के दर्शन में श्री प्रभु को लाल पीली चुंदड़ी का पिछोड़ा के रूप का वस्त्र एवं श्री मस्तक पर गोल पाग पर ग्वाल पगा पर मोर चंद्रिका का श्रृंगार धरा कर एवं चीर हरण की पिछवाई चीरहरण के भाव के प्रतिनिधि की श्रीजी प्रभु को रसिक भाव से यमुना तट एवं गिरीराज जी की अद्भुत छटा के मध्य रसिक भाव से “चीरहरण” के मनोरथ में विराजित किया गया तथा भोग आरती दर्शन में डोल तिवारी में श्री मदन मोहन लाल प्रभु को श्रीजी प्रभु के स्वरुप में श्रावण माह के झूले के भाव से अधिक श्रावण के मनोरथ में हींडोरा में झूला कर तत्पश्चात कमल चौक में आनंद एवं रसिक प्रिय के भाव से श्रावण मास के मनोरथ में श्रावण माह की हरियाली की अद्भुत शोभा के मध्य नौका विहार के भाव से में गहरी यमुना में कमल एवं रंग-बिरंगे फूलों से सुसज्जित तलाई में “कमल तलाई” के मनोरथ में नाव में सखियों संग संपूर्ण साज सज्जा में बिराजित किया गया।
श्री लाडले लाल प्रभु में राजभोग के दर्शन में श्री लालन प्रभु को लालन के नए बागीचे में रसिक भाव से “चीरहरण” के मनोरथ में यमुना तट पर चीर हरण की लीला की संपूर्ण सजा के मध्य विराजित किया गया। लाडले लाल प्रभु के सांयकाल के मनोरथ में लालन के चौक में सावन माह के झूले के भाव से लाडले लाल प्रभु हिंडोरे में हिंडोलना झुलकर आनंद के भाव से रसिक प्रिय के रुप में कमल पुष्पों एवं रंग बिरंगे फूलों से युक्त हंस एवं सुगंधित यमुना की तलाई की छटा से युक्त यमुनाजी में “कमल कलाई” के मनोरथ में कमल चौक में रसिक प्रिय संग भाव से यमुनाजी की कमल तलाई में भव्य साज-सज्जा एवं हरे रंग की छतरी में सखियों संग संपूर्ण सज्जा के मध्य संपूर्ण पुष्टि सृष्टि को दर्शन देने “कमल तलाई” में बिराजे। इस अवसर पर गो ची श्री 108 श्री राकेश जी श्री इंद्रदमन जी महाराज श्री एवं श्री विशाल बावा ने लाडले लाल प्रभु एवं श्री मदन मोहन लाल प्रभु को लाड लड़ा कर आरती उतारी।सांयकालीन मनोरथ से पूर्व श्रीजी प्रभु के स्वरूप श्री मदन मोहन लाल प्रभु को डोल तिबारी में सावन महीने के भाव से हिंडोलना झुलाया जाता है एवम् श्री लाडले लाल प्रभु को नीज मंदिर में हिंडोलना झुलाया जाता हे। तत्पश्चात अधिक मास के मनोरथ का क्रम होता है ।