मेडतासिटी (तेजाराम लाडणवा)
रेन मेड़ता राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित श्री दरियाव जी महाराज की तपोस्थली खेजड़ा जी आश्रम में रविवार को चातुर्मासीय सत्संग एवं प्रवचन करते हुए संत पांचाराम महाराज ने कहा कि भक्ति और साधना से माया का संशय ,तर्क, वितर्क और अन्य सभी प्रश्नों का समाधान स्वतः हो जाता है।
दया, क्षमा, विवेक और ज्ञान ये क्या चार ईश्वरीय गुण है, जो इनको पाता है वह ईश्वर में विलीन हो जाता है। ईश्वर सर्वज्ञ है और हम अल्पज्ञ है। अल्पज्ञ सर्वज्ञ को जान नहीं सकता ।भगवान को पाने के लिए ईश्वरी विधान को समझना होगा। उन्होंने कहा कि भगवान को पाने के लिए ज्ञान, विश्वास, प्रेम और भाव होना चाहिए। माया का पर्दा होने के कारण ईश्वर को नहीं जाना जा सकता है।
इस अवसर पर संत हरिदास महाराज, राजाराम महाराज, प्रेमदास महाराज, श्रद्धालु भीखाराम अजनबी, देवीलाल सांखला , डॉक्टर रामगोपाल, रामनिवास गोटिया, सुखवीर डूडी, प्रकाश खोजा, लिखमाराम लान्च, हुक्मीराम घटेला, शिवराज भाटी, सुगनचंद पवार, जगदीश बोराणा, रामचंद्र गोरा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।