(बाबूलाल सैनी) पादूकलां। कस्बे के चारभूजा मंदिर के पास में शारदीय नवरात्रा महोत्सव के तहत चारभुजा महिला मंडल के तत्वाधान में तीसरे दिन माता का स्वरूप मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा अर्चना की की पूजा- अर्चना की जाती है। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है।
देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अद्र्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं। दस हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं। माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान है। इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा की महिमा का गुणगान करती महिलाएं चारभुजा मित्र मंडल के तत्वाधान में भजन संध्या चारभुजा महिला मंडल के कोशल्या देवी बोहरा,ममता देवी टाक ने बताया कि शारदीय नवरात्रा महोत्सव के तहत महिला मंडल द्वारा सभी लोक देवता के भजनों की प्रस्तुति दी।
ने गणपति वंदना गुरु वंदना के साथ भजन संध्या का आगाज किया मारी सभा में रंग बरसाओ गजानंद सतगुरु आया पावणा ,,,,,माता जगदंबा बड़ा सुंदर सजा तेरा दरबार… चौसठ जोगणी.. अंबे काली कलकत्ते वाली तेरी छडऩे आई सेवक ने अपने चरणों में रखें….. अम्बे माता रानी सत्संग में बेगा पधारो टाबरिया आपकी बाट जोवे…. ऊंचे भाकर में माताजी आपको देवरो जगदंबे अंबे मां ….. छोटी छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल छोटो सो मेरो मदन गोपाल……. मोटा मोटा गुगरा काला भेरू मतवाला लाल लाल चुनरी माता जी आपको सो लाल लाल सिंदूर माताजी सो दाल बाटी चूरमा को भोग लगेओ पंडाल में भजनों की प्रस्तुति पर नृत्य करने पर मजबूर कर दिया इस दौरान सहित बड़ी संख्या महिला मौजूद रही।