टीएसपी से नॉन टीएसपी समायोजन के मामले में शिक्षकों की याचिका पर हाईकोर्ट की फटकार
[जुगल दायमा ] हसौर !
शुक्रवार को हाइकोर्ट ने लंबे समय से टीएसपी से नॉन टीएसपी क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए संतोषजनक जवाब नहीं पेश करने पर नाराजगी व्यक्त की। हाइकोर्ट ने फटकार लगाते हुए अगली पेशी 7 नवम्बर को शिक्षा सचिव को तलब कर व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया है।
जोधपुर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में टीएसपी से नॉन टीएसपी में जारी की गई समायोजन सूची में वरीयता क्रम का पालन नही करने पर शिक्षा विभाग से स्पष्टीकरण मांगा था। हाईकोर्ट ने शिक्षकों की याचिका पर 2 सितंबर को सुनवाई के बाद पारित आदेश में कहा कि माध्यमिक शिक्षा विभाग 14 सितंबर को विशेष जवाब पेश करें कि वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2022 में टीएसपी क्षेत्र में करीब 15 वर्षों से कार्यरत नॉन टीएसपी क्षेत्र के मूल निवासी वरिष्ठ अध्यापकों के पदों को इस वर्ष 2022 की भर्ती में रिक्त मानकर विज्ञाप्ति किए या नहीं तथा इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की संबंधित स्थिति स्पष्ट कर जवाब पेश करें।
विभाग द्वारा 14 सितंबर की जगह 16 अक्टूबर को अपना जवाब पेश किया गया। मगर विभाग द्वारा जवाब न्यायालय द्वारा पारित आदेश 2 सितंबर के अनुसार पेश नहीं किया किया। स्पष्ट जवाब नहीं देने व संतोषजनक कार्यवाही नहीं होने पर हाइकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए आगामी 7 नवंबर की पेशी पर शिक्षा सचिव को व्यक्तिगत उपस्थित होकर स्पष्टीकरण व जवाब पेश करने के आदेश जारी किए हैं।
याचिकाकर्ता शिक्षकों की ओर से न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता विकास बालियां एवं अधिवक्ता रामदेव पोटलिया ने पैरवी की।
यह है मामला-टीएसपी से नॉन टीएसपी हेतु विभाग द्वारा 30 जुलाई 2023 को जो आदेश व समायोजन सूची जारी की थी। उक्त सूची में विकल्प पत्र प्रस्तुत कर नॉन टीएसपी मे समायोजन के लिए इच्छुक सभी शिक्षकों व याचिकाकर्ता के नाम नहीं थे। विभाग ने यह सूची जारी करते हुए कौन से वरीयता क्रम का पालन किया हैं। हाईकोर्ट ने विभाग को विकल्प पत्रों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए निर्देशित करते हुए अगली सुनवाई में समायोजन के लिए जारी की गई सूची में अपनाएं गए वरीयता क्रम से अवगत कराने को कहा हैं। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के समक्ष विकल्प पत्र प्रस्तुत कर नॉन टीएसपी में समायोजन चाहने वालें करीब 350 के लेवल 2 शिक्षको , 477 वरिष्ठ अध्यापकों , तथा शारिरिक शिक्षको को अपनी सूची से बाहर कर दिया था। याचीगण की ओर से दायर याचिका मे अधिवक्ता रामदेव पोटलिया बताया कि याचिका मे आधार रखा गया कि, याचीगण करीब 10-15 वर्षों से टीएसपी क्षेत्र में कार्यरत है। नोनटीसपी में समायोजन के लिए नियम 2014 के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा पूर्व मे दो बार ऑप्शन फार्म मांगे गए थे। तब याचीगण द्वारा नियमानुसार नॉन टीएसपी में समायोजन के लिए ऑप्शन वर्ष 2014 व 2018 मे भरे गए थे तथा याचीगण के सर्विस बुक मे इन्द्राज है , तथा शिक्षा विभाग द्वारा पुनः मार्च 2021 में जब ऑप्शन मांगे गए थे। तब याचीगण शिक्षकों ने नियमानुसार निर्धारित अवधि में ऑप्शन फार्म पुनः भरे तथा संबंधित प्रधानाध्यापक द्वारा सम्बन्धित सीबीईईओ कार्यालय में जमा कर दिए गये थे , तथा ब्लाक स्तर पर सीबीईओ कार्यालय द्वारा उस समय मार्च अप्रेल 2021 मे सूची भी बनाई गयी थी, तथा वर्ष 2021 में प्रतापगढ़, उदयपुर, बांसवाड़ा डीईओ द्वारा सूचियां बनाई गई तथा जिलेवार सूची बनाकर संयुक्त निदेशक उदयपुर को भेज दी गई। 30 जुलाई 2021 से पूर्व बनी सूचियों में याचीगण का नाम शामिल है, परंतु निदेशक महोदय द्वारा 30 जुलाई 2023 को करीब 2400 शिक्षकों को टीएसपी से नॉन टीएसपी में किए गए समायोजन में 400-500 शिक्षको के नाम नही होने से वंचित हो गए। उनके द्वारा ऑप्शन फॉर्म निर्धारित अवधि व नियमानुसार भरने के बाद भी नॉन टीएसपी में समायोजन नहीं होने से उनके साथ बड़ा अन्याय हुआ हैं। 30 जुलाई 2023 को निदेशक द्वारा जारी सूची में वर्ष 2018, 2019 में नियुक्त शिक्षकों का भी समायोजन हुआ है। मगर याचीगण जो पिछले 15 वर्षों से टीएसपी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। वर्ष 1999, 2005, 2008 एवं 2012 से कार्यरत शिक्षक भी समायोजन से वंचित रह गए। जबकि राज्य सरकार द्वारा टीएसपी से नोनटीसपी मे बिल्कुल स्पष्टता से आदेश के साथ स्वीकृति प्रदान की गयी थी कि वरिष्ठता के आधार पर नोनटीसपी मे समायोजन जारी किये जाये । लेकिन निदेशालय बीकानेर द्वारा 30 जुलाई को जारी सूची मे वरिष्ठता का पालन नहीं हुआ, जो राज्य सरकार के निर्णय के विरुद्ध तथा नियमानुसार नही होने से न्यायोचित नही है !