Kkgwalji nathdwara
ब्राम्हण समाज के सेवा वालो ने कि श्रीनाथजी मंदिर की परिक्रमा।
नाथद्वारा वल्लभ सम प्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा मन्दिर में हर वर्ष की भाती इस वर्ष भी दीपावली पर्व के अवसर पर वल्लभ कुल परिवार के शिर मोर गोस्वामी तिलकायत श्री राकेश जी महाराज की आज्ञा एवं कुल दीपक, विकास के प्रणेता श्री विशाल बावा साहेब के निर्देशन में विदवान विप्र मंदिर के पांड्या परेश पांड्या द्वारा विधिविधान में ठाकुरजी के बड़े मुखिया जी इन्द्र वर्धन जी की मौजूदगी में प्रभु के अन्नकूट महोत्सव की सेवा का “घन की सेवा” का प्रातः कालीन वेला में श्रीजी प्रभु के मंगला दर्शन के समय ‘अपने अपने टोल कहत ब्रज वासिया’ एवं ‘लिए विप्र बुलाय यज्ञ आरम्भ कीनो, सुरपति पूजा मेट राज गोवर्धन दिनो’ के भाव से ब्राह्मण समाज के सेवक गण, अनकूट के मुखिया प्रवीण साचिहर , प्ररचारक रमेश साचिहर ,पंड्याजी परेश नागर,श्रीजी के मुखिया जी श्री इन्द्रवदन जी, प्रदीप सांची हर, आदि की मौजूदगी में घन की सेवा प्रारंभ की!
प्राप्त जानकारी के अनुसार अन्नकूट की सेवा का हमेशा आरंभ घन की सेवा से ही होता है जिसमें लकड़ी के बड़े-बड़े भारी घन (हथोड़ा) से मूंग की दाल एवं उड़द की दाल के चून को घन से पीट कर गुंथा जाता है इसीलिए इसे ‘घन की सेवा’ कहा जाता है! सेवा के पश्चात सभी ब्राह्मण समाज के सेवक गणों द्वारा भाव से श्रीनाथजी मंदिर की भजन गाते हुए श्रीनाथजी मन्दिर की परिक्रमा की! इस अवसर पर सेवा वालों मे प्रमुख रुप से सेवक हेमंत, दीक्षित, दिनेश ,नरेन्द्र पालीवाल,कुलदीप, मानस,नटवर नागर,ऋषि साचिहर,निलेशशर्मा,राजा, लालजी,अरूण,रवि,योगेश, पपन,कृष्णा,गिरिराज,जय, मनोज,आदि सेवकगण मौजूद रहे।