(बाबूलाल सैनी) पादूकर्लां
पादूकर्लां । कस्बे सहित आस पास के ग्रामिण आंचल में बुधवार को करवा चौथ धुमधाम से बनाई। पर परागत श्रद्धा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुहागिनों ने अपने पतियों की दीर्घायु के लिए व्रत रखे और उनके सुख समृद्धि की कामना की। पतियों ने भी अपनी पत्नियों को आशीर्वाद दिए। सुबह से ही सुहागिनें सज संवर कर महिलाओं ने सभी श्रृंगार किए और अधिक से अधिक सुन्दर दिखने की हौड़ लगी थी। रंगबिरंगे परिधानों और साज सश्जा में सजी महिलाएं सजीव भारतीयता का चित्रण प्रस्तुत कर रही थीं।
सायं के समय महिलाओं ने करवा चौथ व्रत कथा कही और सुनी। बुजुर्ग महिलाएं भी नई नवेलियों को करवा चौथ के महत्व के बारे में बता रही थी। हर जगह करवा चौथ की धूम थी। सुहागिन महिलाओं ने सोलह श्रृंगारों से अंलकृत होकर अपने पत्ति की दीर्धायु की कामना के लिए चौथ माता की पुजा अर्चना व कथा सुनकर तथा चद्रमा को अर्ग देकर अपने पत्ति से आर्षीवाद प्राप्त किया और सुहागिनें अपने पत्ति की लम्बी उम्र की कामना की और अपने परिवार की भी कुशल कामना की। मंदिर व अपने घरों के बहार आंगन में महिलायें एकजुट होकर के मंगल गीत गाती हुुई चौथ माता की पुजा अर्चना की।। पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला व्रत करवा चौथ बुधवार को है। कथावाचक कौशल्या देवी बोहरा व विमला उपाध्याय ने बताया कि इस साल का करवाचौथ है दिव्य और चमत्कारीए कई साल बाद महासंयोग सुहागिन स्त्रियां अपने पति के लिए और कुंआरी लड़कियां अश्छेे वर की चाहत में इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं और चंद्रमा को अध्र्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ के दिन चन्द्र को अघ्र्य देने का समय रात्रि है। करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी जो कि भगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता हैए एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिवए माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो हर जगह के अनुसार करवा चौथ की पूजन विधि अलगण्अलग होती हैण् श्यादातर महिलाएं अपने घर की परंपराओं और रीति रिवाजों के अनुसार पूजा करती हैं और कहानी सुनती हैंण् पति की लंबी आयु करने के लिए इसकी पूजन विधि ऐसे करें इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके पतिए पुत्रए पत्नी और उनकी सुखण्समृद्धि की कामना करके निर्जला व्रत रखें वैसे तो करवा चौथ पर महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैंण् लेकिन कहींण्कहीं पर लोग सरगी खाने भी खाते हैं सरगी में मिठाईए फल सेंवई पूड़ी और साज श्रंगार की सामग्री भी दी जाती हैण् सरगी करने के बाद पानी नहीं पीना चाहिएण् करवा चौथ माता के मन्दिर में पहुचकर पूजा अर्चना कर माता की कथा सुनी देर रात तक चन्द्रप दर्शन के दौरान अपने पति का मुह देखकर आर्शीदवालिया अपने परिवार व अपने पति की दीर्घआयुकी की खुशहाली की कामना की इसी प्रकार अरनियाला ,डोडियाना पादूखुर्दे, गवारड़ी,बगग्ड,नथावडा,बिखरनियांकलां,ईटावडा भोजा, ,पालडीकलां,निम्बडी कलां,मांडलजोधा,कवरीयांट,लाम्पोलाई सहित गांवों में करवा चौथ व्रत पर्व परम्परागत श्रद्धा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।