
Kkgwalji nathdwara
नाथद्वारा वल्लभ समप्रदाय की पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथजी के मन्दिर में प्राचीन समय से ही काष्ठ से निर्मित किंवाड़ो की चौखट की सुंदर एवं अद्भुत “पन्नी कला” आज भी जीवंत है,

यह कला प्राचीन काल से ही प्रभु श्रीनाथजी के मन्दिर में सुंदर सजावट तथा शुभ प्रसंग के अवसर पर इसे उस्ता विभाग के सेवकों द्वारा विशेष रूप से विभिन्न रंगों की पतली पतली पन्नीयों (पेपर) को विभिन्न आकार प्रकार में काटकर विभिन्न प्रकार की आकृतियों मैं तैयार किया जाता है तथा प्रमुख प्राचीन लकड़ी से निर्मित दरवाजों की चौखट पर उन्हें चिपका कर सजाया जाता है

इस कला का धार्मिक एवं सुंदर सजावट एवं शुभ प्रसंग के रूप में विशेष महत्व है इसलिए प्रभु के विशेष महोत्सव में जिसमें विशेष रूप से दीपावली के अवसर पर श्रीजी प्रभु की हवेली के प्रमुख प्रवेश द्वार के किवाड़ों की चौखट जिनमें श्री महाप्रभु जी की बैठक के प्राचीन प्रवेश द्वार,नक्कार खाने के किवाड़, छठी के कोटे के प्रवेश द्वार में विशेष रूप से शुभता के प्रति के रूप में विशेष रूप से इसको सजाया जाता है, यह कला विशेष रूप से मेवाड़ क्षेत्र की स्थानीय कला के रूप में प्रसिद्ध है और इसका प्रचलन आज भी स्थानीय क्षेत्र के गांव के धार्मिक स्थलों एवं पूजा स्थलों में विशेष रूप से प्रचलित है! और श्रीजी प्रभु ने भी अपनी हवेली में इस स्थानीय कला को विशेष स्थान दिया है और इसलिए आज भी यह कला पू. पा. श्री तिलकायत महाराज की आज्ञा से इस स्थानीय कला संस्कृति के प्रतीक “पन्नी कला” को विशेष रूप से नाथद्वारा में जीवंत रखे हुए हैं।


Author: Aapno City News







