1952 में लक्षमनगढ फतेहपुर रहा संयुक्त विधानसभा क्षेत्र ,1957 में बना अलग विधानसभा क्षेत्र
पत्रकार बाबूलाल सैनी
लक्ष्मणगढ़ 17 नवंबर। 1952 के विधानसभा चुनाव में लक्षमनगढ फतेहपुर संयुक्त रूप से एक ही विधानसभा क्षेत्र रहा तथा दो विधायक चुने गए जिनमें एक अनुसूचित जाति से विधायक चुने गए ।1957 में लक्षमनगढ स्वतंत्र रूप से विधानसभा क्षेत्र कायम हुआ। 1952 से 2018 तक अब तक हुए विधानसभा चुनावों में ज्यादातर कांग्रेस का ही दबदबा रहा है जबकि भाजपा यहां अब तक एक ही बार कमल खिला पाई है।
दो मर्तबा स्वतंत्र पार्टी व एक बार लोकदल ने जीत दर्ज की है । लक्ष्मणगढ़ से सर्वाधिक 5 बार परसराम मोरदिया विधायक चुने गए। वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सिंह डोटासरा लक्ष्मणगढ़ से लगातार तीन बार विधायक चुने गए तथा चौथी बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप चुनाव मैदान में हैं।
लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से 1952 में नारायण लाल कांग्रेस से व बलबीर केएलपी से विधायक चुने गए जबकि 1957 में लक्षमनगढ स्वतंत्र रूप से विधानसभा क्षेत्र कायम हुआ जिसमें कांग्रेस किशन सिंह दो बार लगातार 1957 व 1962 में विधायक चुने गए । 1967 में लक्षमनगढ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर नथमल स्वतंत्र पार्टी से विधायक चुने गए । जबकि 1972 स्वतंत्र पार्टी से केशर देव महरडा विधायक चुने गए । 1977 व 1980 में कांग्रेस के परसराम मोरदिया विधायक बने । 1985 लोकदल से केशर देव महरडा विधायक चुने गए जबकि 1990, 1993 व 1998 में लगातार तीन बार कांग्रेस के परसराम मोरदिया विधायक बने। 2003 भाजपा केडी बाबर विधायक बनकर लक्ष्मणगढ़ में कमल खिलाने में कामयाब हुए। इसके बाद 2008 में लक्षमनगढ पुनः सामान्य सीट होने के बाद लगातार तीन बार 2008,2013 व 2018 में कांग्रेस के गोविंद सिंह डोटासरा विधायक चुने गए।