फुलेरा (दामोदर कुमावत) राजस्थान पेंशनर समाज उपशाखा फुलेरा की और से श्री रामद्वारा सभागार में पेंशनर दिवस का आयोजन किया गया। पेंशनर्स दिवस पेंशनर्स के लिए महत्वपूर्ण दिवस है, यह पूरे देश में मनाया जाता है ताकि पेंशनर एकता के लिए तथा अपने हितों के लिए और अधिक सक्रिय और जागरूक हो सके।
पेंशनर्स का इतिहास लगभग डेढ़ सौ साल पुराना है भारत में पेंशनर्स प्रणाली 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रचलित की जाकर इंडियन पेंशन एक्ट 1871 के द्वारा अंतिम रूप दिया गया। रक्षा मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार डीएस नकारा द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करके एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई जिसके परिणाम स्वरूप न्यायमूर्ति यशवंत चंद्रचूड़ ने 17 दिसंबर 1982 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया पेंशन ना तो उपहार है और ना ही इनाम पेंशन एक सेवा निवृत कर्मचारी का अधिकार है।
जिसे सरकार की एक लंबे समय तक सेवा की थी और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि उसके कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद एक शांतिपूर्ण और सम्मानजनक जीवन जिए, फैसले के बाद पेंशनरों के संगठनों का उदय हुआ और उन्होंने इसे अपने स्वाभिमान के रूप में मनाने का निणर्य लिया इस अवसर पर सेवानिवृत्ति वरिष्ठ पेंशनर्स को सम्मानित किया गया जिसमें नाथू लाल वर्मा, श्रीमती सरोज गुप्ता, जगदीश नागा, रामगोपाल कुमावत, हनुमान चौधरी को सम्मानित किया गया जबकि बैठक को रमेश गोठवाल,नंदकिशोर शर्मा, इकरामुद्दीन कुरैशी, सत्यनारायण, दामोदर मंडावरिया आदि ने संबोधित करते हुए सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की, इस अवसर पर मंच संचालन भंवरलाल कुमावत ने किया