[बाबूलाल सैनी] पादूकलां ।कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र मे मकरसंक्रान्ति पर्व धुमधाम से मनाया। इस दिन मलमास समाप्त होते है। और धार्मिक कार्यक्रम की शुुरूआत होती है। दानपुण्य का पर्व मकरसंक्रन्ति रविवार व सोमवार को भी को परम्परागत रूप से मनायी गई। इस दिन मलमास समाप्त होते है। सूर्य उपासना व दान-पुण्य का प्रतीक मकर संक्रांति का पर्व रविवार को शहर में धूमधाम से मनाया गया।
सुबह जल्दी उठकर लोगों ने स्नान किया और सूर्य देव की उपासना की। गरीबों व पंडितों को तिल व खिचड़ी दान की। भगवान विष्णु की पूजा कर घर में सुख, शांति व समृद्धि की कामना की। घरों में तिल व गुड़ के लड्डू बनाए गए। बच्चों ने पतंग उड़ाई और खूब मौज मस्ती की।स्नान के बाद मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना और दान-पुण्य किया। सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था।विभिन्न मंदिरों में लोगों ने भगवान का दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की। इस दिन दान का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसे में लोगों ने तिल, गुड़, चावल और अन्न आदि का दान किया। जगह-जगह पर खिचड़ी का प्रसाद वितरण किया गया।
इस बार मकर संक्रान्ति 14 व 15 जनवरी को मनाई गई क्योंकि सूर्य का धनु राशि को छोडकऱ मकर राशि में प्रवेश होगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होते ही उत्तरायण काल शुरू हो जाता है। मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ तथा मिथुन राशि में सूर्य के परिभ्रमण की स्थिति उत्तरायण की मानी जाती है। उत्तरायण की ऊर्जा पंचमहाभूतों के लिए ऊर्जा निर्मित करती है। इस दृष्टि से उत्तरायण का विशेष महत्त्व है। पर्वकाल में भागवत सप्ताह श्रवण भी शुभ श्रीमद्भागवत के अनुसार उत्तरायण के सूर्य की प्रतीक्षा करते हुए भरतवंशी भीष्म ने देह का त्याग किया था।पडितों द्वारा गौमाता जी की विधिवत पूजा अर्चना कर लापसी बनाई गई गोगाजी गौशाला में सभी गयों को लापसी खिलाई गई और दान पुण्य किया गया । युवा शक्ति ने पतंगबाजी का लुफ्त उठाया यह काटा हो गया। गौशाला में गायों को लापसी खिलाई ग्रामीण सहयोग से