रूण फखरुद्दीन खोखर
गंगा जमुनी तहजीब को देखकर जैन मुनि हुए भावुक दी दुआएं
रूण- प्रेम,समन्वय, भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश लेकर पिछले 57 वर्षों से पूरे भारत में पद यात्रा कर रहे गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर म.सा का मेड़तारोड़ से होते हुए रविवार को सुबह रूण गांव में नगर प्रवेश हुआ ।
भामाशाह, समाजसेवी बनेचंद जैन और मुनीम गणपत शर्मा ने बताया रूण स्थित भेरूजी मंदिर और श्री शांतिनाथ जैन मंदिर के दर्शन करने के बाद हाथों-हाथ खजवाना गांव के लिए प्रस्थान किया, वहीं मुस्लिम मोहल्ले में मुस्लिम समाज के गणमान्य लोगों ने जैन संतों के प्रति अपनी आदर भावना प्रगट करते हुए शाल ओढाकर और पुष्प वर्षा से स्वागत किया , वही जैन मुनि मुस्लिम समाज द्वारा ऐसा स्वागत देखकर कहा कि गंगा जमुना तहजीब देखनी है तो गांवों में आओ और जैन मुनि स्वागत से अभीभूत हो गए। इन्होंने इंसानियत, मोहब्बत और भाईचारा बनाए रखने की अपील करते हुए ढेरों दुआएं दी
एक परिचय
पंजाब केसरी से मशहूर जैनाचार्य ने नौ वर्ष की अल्पायु में अपने माता पिता और दो बड़े भाइयों के साथ जैन दीक्षा ग्रहण की थी । संत बनने के बाद उन्होंने खूब अध्ययन किया और देश भर में पैदल विचरण करके राष्ट्र भावना को मजबूत बनाने का कार्य किया । वह अभी तक करीब पौने दो लाख किलोमीटर की पद यात्रा संपन्न कर चुके हैं ।
300 से ज्यादा प्राचीन तीर्थों , मंदिरों और धर्मस्थानों के जीर्णोद्धार करवाकर पुनः प्रतिष्ठा संपन्न करवा चुके हैं । गांव रूण के जैन मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कुछ वर्षों पहले इन्होंने ही अपने हाथों से करवाई थी। आचार्यश्री मानवतावादी संत हैं इसलिए उन्होंने जन कल्याण के लिए गरीब ,आदिवासी विस्तार में अनेक अस्पताल , विद्यालय , महाविद्यालय , गौशालाएं , रोजगार केंद्र आदि स्थापित करवाए हैं ।
कौन होते हैं जैन मुनि
जैन संतों का जीवन तप त्याग से जुड़ा होता है।कोई भी भौतिक सुख सुविधा वह ग्रहण नही करते हैं ।आत्मकल्याण के लिए भगवान महावीर के वचनों के अनुसार कठोर व्रत, नियमों का दृढ़ता से पालन करते हैं । वर्ष में बरसात के दौरान चातुर्मास पर स्थिर रहकर साधना करते हैं और शेष आठ महीने देश भर में भ्रमण करते हुए सत्य , अहिंसा , प्रेम , सांप्रदायिक सद्भाव आदि का संदेश जन जन तक पहुंचाते हैं ।
लुधियाना से पहुंच रहे हैं नागौर
आचार्य नित्यानंद सूरीश्वर महाराज जैन धर्म के उच्च पद पर आसीन गच्छाधिपति आचार्य हैं । पंजाब के लुधियाना शहर में पिछले साल चातुर्मास करके 22 दिसंबर 2023 से उन्होंने अपनी पद यात्रा प्रारंभ की । लुधियाना से अंबाला , जालंधर , जम्मू , अमृतसर , श्री गंगानगर , पीलीबंगा , सूरतगढ़ , बिकानेर , नोखा , जोधपुर , आहोर , उम्मेदपुर , पाली , पीपाड़सिटी से मेड़तारोड़ होते हुए रविवार सुबह आचार्य अपनी संत मंडली के साथ कुछ समय के लिए रूण में मंदिर में दर्शन लाभ लेकर रवाना हुए । उनके साथ उनके शिष्य मुनि मोक्षानंद विजय महाराज , मुनि ज्ञानानंद विजय , मुनि मोक्ष यश विजय महाराज और साध्वी मंडल भी पद यात्रा में शामिल है ।
नागौर में यह रहेगा कार्यक्रम
आचार्यश्री का गांव रूण से खजवाना मुंडवा होते हुए नागौर में नगर प्रवेश 12 मार्च को होगा । 13 को श्रीमणिभद्रजी की प्रतिष्ठा , गुरु मंदिर का शिलान्यास , 14 को संक्रांति और 15 से 17 मार्च तक मणिभद्र धाम में शिलान्यास , 13 वर्षीय दीक्षार्थी हार्दिक समदड़ीया के दीक्षा ग्रहण अनुमोदना का कार्यक्रम होगा , 18 को ऋषिमंडल महापूजन होगा । इसके बाद नागौर
से विहार करके आचार्यश्री मेड़तासिटी ,अजमेर , ब्यावर , उदयपुर , बड़ोदरा होते हुए मई माह में सूरत पहुंचेंगे । आचार्यश्री इसी वर्ष भावनगर के पास पालीताना में चातुर्मास करेंगे, जहां 17 जुलाई को उनका ऐतिहासिक नगर प्रवेश होगा ।