बालक की प्रथम पाठशाला घर है- सुखदेव महाराज

रूण फखरुद्दीन खोखर

रूण-बालक की प्रथम पाठशाला घर होती है, बच्चों को संस्कार घर से ही सिखाया जाता है, जैसे मां-बाप होंगे वैसे ही उनकी औलाद होगी, यह विचार भजन सम्राट संत सुखदेव महाराज ने ब्राह्मणों के बास रूण गांव में एक कार्यक्रम में शनिवार रात्रि में कहे, इन्होंने कहा कि इन दिनों जन्मदिन पर डीजे बजाकर और नाच गाना गाकर फिजूल खर्ची की जाती है,

मगर इस परिवार ने जन्मदिन के मौके पर नई शुरुआत करते हुए संतो को बुलाकर अच्छे संस्कार दिलाने का प्रयास किया है जो सराहनीय है। इन्होंने कहा कि बच्चा चाहे बिगड़ता है या सुधरता है लेकिन मां-बाप को ही बुरा या भला कहा जाता है इसीलिए हमें हमारे लाडलो को लाड प्यार तो देना चाहिए मगर अच्छे संस्कार देने में कमी नहीं रखनी चाहिए, हमें वर्तमान समय को देखते हुए बच्चों को मोबाइल कम से कम देना चाहिए।

इस मौके पर नोखा चांदावता के त्यागी संत रामप्रकाश महाराज और उचियारड़ा के मंहत जयराम महाराज ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें भक्ति भाव करते हुए ईश्वर को नहीं भूलना चाहिए और अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए। इस मौके पर संत सुखदेव महाराज, युवा संत राम बल्लभ महाराज ने एक से बढ़कर एक भजन सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

इस मौके पर काफी संख्या में श्रद्धालु देर रात तक उपस्थित रहे। इस अवसर पर पंडित रामकुंवार , प्रदीप शर्मा और प्रहलाद शर्मा ने सभी संत महात्माओं को फूल माला पहनाई और महिलाओं ने बधावणा गाकर इनका स्वागत किया। इस मौके पर काफी संख्या में जनप्रतिनिधि गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

Aapno City News
Author: Aapno City News

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