शीतलाअष्टमी पर्व धुम धाम से मनाया

                                                                                                  ठण्डे भोजन से शीतला माता की पूजा अर्चना करके सुख शांति की कामना
(बाबूलाल सैनी/ दीपेंद्र सिंह राठौड) पादूकलां । कस्बे के तालाब की पाल पर स्तिथ शीतला माता मंदिर पर सोमवार को शीतलाष्टमी पर्व श्रद्धालु महिलाओं ने परंपरागत तरीके से निरोगी काया के लिए मां शीतला के बासी भोजन का भोग लगाया।

सार्वजकि तलाब के किनार स्थित शीतला माता मन्दिर मे सुब तडक़ महिलाए सोला श्रंगार करे मंगल गीत गात हुए शीतला माता कि पूजा अर्चना करे शीतला माता अष्टमी को ठण्ड पकवानो का भोग लगाया ओर इस दिन परिवार के सभी चार दिन ठण्ड पकवानो का भोजन प्रसाद किया ग्रण किया ओर अपने परिवार कि सुख वह शान्ति कि कामना कि कुछ स्थानों पर मां शीतला की पूजा होली के बाद मां शीतला केहाथों में कलश सूप मार्जन झाडू तथा नीम के पते होते है। इन वस्तुओं का प्रतीक त्मक महत्व है।

तिथि केअनुसार चैत्र मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी या सप्तमी तिथि को मां शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला सप्तमी के एक दिन पर्व मां शीतला को भोग लगाने केलिए बासी भेाजन यानी बसौड़ा तैयार कियाजाता है। बसौंड़े में मीठे चावल कढ़ी एचने की दाल हलवा राबड़ी बिना नमक की पूड़ी पूए तैयार किऐ जाते है।

सप्तमी के दिन बासी भोजन देवी को नैवेद्य के रूप में अर्पित कियाजाता है। और दूसरे दिन सुबह चार बजे महिलांऐ सौलाह श्रृंगार कर महिलांए पूजा की थाली तैयार कर उसमें दिपक जलाकर अपने सीर पर रखकर मंगल गीत गाती हुई मां शीतला माता मन्दिर पहुचंकर वही पुरूष भी मां शीतला माता की पूजा कर मां शीतला माता की विधिवत पूजा अर्चना कर मां घर घर में बनाये पकवान बास्योड़ा बासी भोजन का भोग लगाया और प्रसाद चढ़ाकर कहानी पढकऱ सुनाई जाती है। भर कंडवारो भवानी थारे मंदिर  ए पधारी …………… जैसे गीत गाती हुई  महिलाएं कुभकार  के घर व मंदिरों में  पहुंची ।

जहां पूजा अर्चना कर पूआ-पापडी व छाछ राबडी सहित  अन्य  बासी व्यंजनों का भोग लगाया। माता शीतला से बीमारियों से परिवार की रक्षा करे सुख समृद्धि व स्वास्थ्य की मंगल कामना की। पूजा के बाद महिलाओं ने माता शीतला की कथा सुनी ।बाद में महा आरती के बाद ही अपने परिवार व अपने पति की दीघुआयु की कामना करती है। शीतला अष्टमी की पूजन वर और वधू दांपत्य जीवन में प्रवेश से पहले भी करते है। जीवन में क्रोध और आवेश नहीं हो और संपूर्ण जीवन शांति से बीते । मांशीतला स्वश्छता की अधिष्ठाओं देवी है। उन्होंने जितने भी चीजें धारण की है वे सभी हमें जीवन में स्वश्छता रखने की प्ररेणा देने वाली है।महिलाएं समूह में गीत गाकर पूर्व संध्या पर किया रांदा-पोया भोजन का शीतला माता के भोग लगाया गया। महिलाओं ने ठण्डे भोजन का भोग लगाते हुए दर्शन किए। इस मौके पर सवेरे महिलाओं ने घर में ठण्डे भोजन से शीतला माता की पूजा अर्चना करके सुख शांति की कामना की। पूर्व संध्या पर  कलाकार नोरत  टेहला ने  भजन संध्या का शुभारंभ किया गणपति वंदना गुरु महिमा और शीतला माता का महिमा का गुणगान किया।   सुमेर सिंह नागौरी नेवी शीतला माता की महिमा का गुणगान कर एक से बढक़र एक भजनों की प्रस्तुति दी स्थानीय कलाकार रामस्वरूप गोरा मनसुख प्रजापत ने एक से बढक़र एक भजनों की प्रस्तुति सभी श्रद्धालुओं को मंत्र मुगन कर दिया ।सोमवार को शीतला अष्टमी पर्व धुम धाम से मनाया मां शीतला की पूजन का विधान किया गया गांवओं में मेवडा, बिखरनियांकलां , डोडियाना , पालडीकलां, मांडलजोधा , पालियास, नथावडा बेडासखुर्द, गवारडी,कवंरियाट ,थाट शीतला अष्टमी पर्व धुम धाम से मनाया।

Aapno City News
Author: Aapno City News

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