रूण फखरुद्दीन खोखर
रूण-रमजान के पवित्र महीने में 27वीं रात को शबे कद्र की रात कहा जाता है और यह रात सबसे अफजल (अव्वल)रात मानी जाती है।
गौसिया जामामस्जिद इंदिरा कॉलोनी रूण के पेश इमाम हाफिज बिलालअली, मदीना जामा मस्जिद के पैश इमाम मो.इकराम , अशरफी जामा मस्जिद के पैश इमाम मोहम्मद राशिद ने बताया वैसे तो रमजान माह की 21, 23, 25, 27 और 29वीं रातें सबसे अव्वल मानी गई है, इन रातों में अगर कोई बंदा रोजे रखकर पांच वक्त नमाज पढ़ने वाला सच्चे दिल से दुआ मांगता है तो उसकी दुआ जरूर कबूल होती है और उसके जो भी गुनाह (पाप) है उनको माफ किया जाता है। इसी प्रकार गांव रूण सहित आसपास के गांवों में सभी मस्जिदों को रंगीन रोशनी से सजाया गया।
वहीं मुस्लिम बंधुओ ने पूरी रात जागकर नमाजें पढ़कर अल्लाह की इबादत की, इस दौरान कब्रिस्तान और दरगाह पर भी जाकर सामूहिक रूप से फातिहा पढ़ी गई। नूरानी जामा मस्जिद के पेश इमाम हसनअली और मोहम्मद शहजाद ने बताया इस रात में पुरुषों ने मस्जिदों में और घरों में महिलाओं ने कुरान शरीफ पढ़कर और नफिल नमाजे अदा की, इसी तरह सभी मस्जिदों में अर्धरात्रि में सलातुल तस्बीह की विशेष नमाज अदा की गई, इन्होंने बताया इस नमाज का विशेष महत्व रहता है, जिसमें देश में अमन चैन शांति खुशहाली की दुआएं की गई।इसी प्रकार युवाओं ने बताया कि सभी मस्जिदों में जहां तराबीह की नमाज अदा की गई वहां हाफीज और पेश इमामों को नजराना देकर और फूल माला पहनाकर सम्मान किया गया। कुल मिलाकर पूरी रात जश्न जैसा माहौल था।