
मकराना (मोहम्मद शहजाद)। शहर के गुणावती रोड़ पर स्थित बंगला वाले बालाजी मंदिर में सोलंकी परिवार की ओर से आयोजित पांच दिवसीय नानी बाई रो मायरो कथा का समापन हुआ। इस अवसर पर कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी

कथा वाचक पंडित चंद्रकांत दाधीच चौसला वाले ने संगीतमयी भजनों की प्रस्तुति के साथ कहा की यह कथा गौमाता, माता पिता, सास ससुर, बड़े बुजुर्गो की सेवा, सहयोग और समर्पण की सीख देती है। उन्होंने बताया की नरसी मेहता में भगवान के प्रति समर्पण की भावना थी।

कथा वाचक ने नरसी मेहता और श्रीकृष्ण के बीच हुए रोचक संवाद को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया। इस दौरान सजीव झांकियो के माध्यम से बाल कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी, भजनों के दौरान श्रद्धालुओं ने भक्ति में लीन होकर नृत्य किया।
कथा वाचक दाधीच ने कहा की घर में कितनी भी बहु हों, कोई अपने पीहर से कितना भी लाए, मगर ससुराल के लोगों को कभी धन के लिए किसी को प्रताड़ित नही करना चाहिए क्योंकि हर किसी की आर्थिक स्थिति एक समान नही होती है।

उन्होंने कहा की यदि किसी बहन के भाई नही हो या परिवार गरीब हो तो उसका सहयोग करना चाहिए। नानी बाई को मायरो कार्यक्रम के अंतिम दिन भगवान श्रीकृष्ण ने छप्पन करोड़ का मायरा भरा। नरसी भक्त ने भी कड़ी तपस्या कर भगवान को याद किया, उनको आना पड़ा और श्रीकृष्ण ने छप्पन करोड़ का मायरा भरा। भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त नरसी मेहता ने जब अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया तब उन्हे भगवान का साक्षात्कार हुआ।

कथा सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए और भक्तों ने अपनी इच्छा अनुसार नानी बाई का मायरा भरा। इस अवसर पर हिरालाल सोलंकी, रामलाल सोलंकी, घीसालाल सोलंकी, सुभाष सोलंकी, धर्मेंद्र सोलंकी सहित हजारों पुरुष व महिला भक्तजन उपस्थित थे।


Author: Aapno City News
