पादूकलां ।(दीपेंद्र सिंह राठौड़) शादीय नवरात्रा के दुर्गा का नवरात्र के दूसरे दिन उपासक मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मां दुर्गा के दूसरे यह स्वरूप उस कन्या का है, जो देवों के देव महादेव को अपने पति के तौर पर प्राप्त करने के लिए कठोर तप करती है। कठोर तप के कारण ही इस माता का नाम ब्रह्मचारिणी है।
मां ब्रह्मचारिणी की विधि विधान से पूजा करने पर सदैव विजय प्राप्त होती है। स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को तप का आचरण करनेवाली की मान्यता प्राप्त है। यह भक्तों को तपस्या भाव से भर देती हैं। मां ब्रह्मचारिणी ने दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल धारण कर रखा है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के निमित समस्त देवी-देवताओं को आमंत्रित कर उनका ध्यान लगाएं।
कलश की फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें। माता ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, शक्कर, घी, और शहद से स्नान कराएं और प्रसाद अर्पित करें। आचमन के बाद पान, सुपारी भेंट कर मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की प्रदक्षिणा करें। साधक यदि भगवती के इस स्वरूप की आराधना करता है तो उसमें तप करने की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है। जीवन के कठिन से कठिन संघर्ष में वह विचलित नहीं होता है।
कस्बे सहित आस पास के ग्रामीण आँचल में शुक्रवार को दूसरे शारदीय नवरात्रा महोत्सव महिलाओं मां दुर्गा के दर्शन कर गांव देश की खुशहाली की कामना की। महिला मंडल द्वारा नवरात्रि के दूसरे दिन माता रानी के दरबार में चारभुजा महिला मंडल द्वारा एक से बढक़र एक माता रानी के भजनों की प्रस्तुति दी बड़ी संख्या में महिलाओं भीड़ उमड़ी मां दुर्गा के अनेक स्वरूपों का वर्णन भजनों के माध्यम से श्रोताओं का मंत्र मुग्ध कर दिया गया।
सुबह गायत्री जाप माला जप का किए जा रहे हैं श्रद्धालु धार भी कार्यक्रम में ले रहे हैं नौ दिवसीय कार्यक्रम में उमडऩे लगी भीड़ कस्बे के सुप्रसिद्ध गायत्री चौराया के स्थित गायत्री प्रज्ञा पीठ परिसर में माता रानी के दर्शन करवा कस्बे में जगह-जगह गली मोहल्लों में माता रानी का दरबार भव्य सजाया गया चारभुजा मंदिर के पास में भी शारदीय नवरात्र महोत्सव चारभुजा मित्र मंडल के तत्वाधान में नव दृश्य कार्यक्रम धार्मिक आयोजन के जा रहे हैं माता रानी की प्रतिमा का सिंगार कर अनेक रूपों में झांकियां अनेक मंडलों द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जा रही है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु की धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। और शाम आरती के समय श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड ।