पादूकलां। (दीपेंद्र सिंह राठौड़)शारदीय नवरात्र में कस्बे के सहित आसपास क्षेत्र में माता के मंदिरों व घरों में घट स्थापना के लिए नौ दिनों तक मां के भक्तों व्रत उपवास वह हवन पूजा कर मां की आराधना का कार्यक्रम चल रहा है ।सोमवार को शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्र की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा का विधान है।
देवताओं के सेनापति कहे जाने वाले स्कंद कुमारए यानि कार्तिकेय जी की माता होने के कारण ही देवी मां को स्कंदमाता कहा जाता है। इनके विग्रह में स्कंद जी बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। मां स्कंदमाता की उपासना करने से भक्तों को सुख.शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी मां अपने भक्तों पर ठीक उसी प्रकार कृपा बनाये रखती हैंए जिस प्रकार एक मां अपने बच्चों पर बनाकर रखती हैं।मां स्कंदमाता का रंग पूर्णतः सफेद है और ये कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं।
जिसके कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। देवी मां की चार भुजाएं हैं। ऊपर की दाहिनी भुजा में ये अपने पुत्र स्कंद को पकड़े हुए हैं और इनके निचले दाहिने हाथ और एक बाएं हाथ में कमल का फूल है। जबकि माता का दूसरा बायां हाथ अभय मुद्रा में रहता है। स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि हमारा जीवन एक संग्राम है और हम स्वयं अपने सेनापति हैंय़ लिहाजा देवी मां से हमें सैन्य संचालन की प्रेरणा भी मिलती है। नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता को सफेद रंग अति प्रिय है। ऐसे में नवरात्रि के पांचवें दिन माता रानी को दूध और चावल से बनी खीर को भोग लगाएं। इसके अलावा देवी मां केले का भोग भी लगा सकते हैं। केला और खीर का भोग लगाने से स्कंदमाता भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें खुशहाल जीवन और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। कस्बे के चारभुजा मंदिर के पास चारभुजा महिला मंडल द्वारा भजनों की प्रस्तुति रात्रि में ग्रामीणों द्वारा भजनों की प्रस्तुति की जा रही है और महिलाओं ने भी माता के भजनों की प्रस्तुति दी माता के दरबार के सामने नृत्य किया आयोजन समिति चारभुजा मित्र मंडल द्वारा प्रतिदिन माता रानी के पंडाल में भजन संध्या नवरात्रा महोत्सव बढ़-चढक़र भाग ले रहे हैं। माता जी के मंदिर को दूधिया रोशनी से जगमग आ रहे हैं। माता रानी की विशेष पूजा अर्चना की जा रही है वही सुबह और शाम आरती के समय माता के दरबार में श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है कस्बे के प्रमुख मार्गों मैं माता रानी के जयकारे लग रहे हैं गायत्री मंदिर में नित्य अखंड जोत और जाप किया जा रहा है।