पादूकलां।(दीपेंद्र सिंह राठौड़) कस्बे के बस्सी की ढाणी स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर परिसर में रविवार को आश्विन शुक्ल पक्ष पवित्रा पापांकुशा एकादशी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। रविवार को सुबह मंगला आरती के बाद महिलाओं द्वारा भजन कीर्तन और बाबा श्याम का दिव्य श्रृंगार किया जाएगा।
मंदिर की पुजारी पुखराज दुबे ने बताया कि श्याम मित्र मंडल विकास समिति के द्वारा एक पापांकुशा एकादशी पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगें। पापांकुशा एकादशी का व्रत 13अक्टूबर दिन रविवार को है।पापांकुशा एकादशी इस बार 13 अक्टूरबर को है। इस दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और विधिपूर्वक व्रत रखते हैं। सनातन धर्म में सभी एकादशियों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय आश्विन महीना चल रहा है। इस महीने के शुक्ल पक्ष मंत आने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यरता है कि इस दिन भगवाव विष्णुन को सबसे प्रिय तुलसी भी उनके लिए व्रत करती हैं। यही वजह है कि इस दिन तुलसी को जल नहीं दिया जाता है। कहते हैं कि इस दिन तुलसी को जल देने से उनका व्रत खंडित हो जाता है, इसलिए पापांकुशा एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं देना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णुह को तुलसी दल अर्पित करने से वह बेहद प्रसन्ने होते हैं और मनचाहा फल देते हैं। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 अक्टूबर को है। इस दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 08 मिनट से शुरू होकर 14 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। व्रत का पारण 14 अक्टू4बर को किया जाएगा।पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ यज्ञ और हजार सूर्य यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस व्रत को रखने वाले को एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और एक हजार सूर्य यज्ञ के समान फल प्राप्त होते हैं। इससे साधक के जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ रूप की पूजा का विधान है। भक्तों को इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और पीले वस्त्र धारण करके पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मनवांछित फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।पूरे दिन व्रत रखें और रात में भगवान विष्णु के विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अगले दिन,यानी द्वादशी को सुबह ब्राह्मण को भोजन और दान-दक्षिणा देकर ही व्रत खोलना चाहिए। पूर्व संध्या पर श्री श्याम प्रतिमा श्रृंगारित