संगीतमय में श्रीमद् दौरान झांकी भक्त प्रहलाद नरसिंह भगवान की झांकी सजाई गई (दीपेंद्र सिंह राठौड़) पादूकलां। कस्बे के सीनियर सेकेंडरी मार्ग पर स्थित राठौड भवन परिसर में संगीतमय भागवत कथा चल रही जिसके तृतीय दिवस पर कथावाचक पंडित दिनेशानंदजी महाराज ने कहा कि जबप्राणी अपना कर्म करता है तो परमात्मा अवश्य ही सहायता करते हैं बिना भक्ति और ज्ञान के बिना प्राणी उसे प्रकार भट्टकता है जैसे कस्तूरी को अपने शरीर में धारण करते हुए हिरण परमात्मा केवल चौरासी लाख योनि में से केवल मनुष्य योनि में ही सुख और दुख का बोध करवाता है और जिसमें अज्ञानी मनुष्य केवल दुख को याद करता हुआ अपना जीवन इस कलयुग में समाप्त कर लेता है भागवत कथा कलयुग में धर्म की स्थापना हि अंतिम मार्ग है
त्याग के बिना कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है महर्षि दधीचि ऋषि ने अपने शरीर की हड्डियां दान करके संसार में यश को प्राप्त किया श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर पंडित दिनेशानंद जी महाराज के मुख से जड़ भरत की कथा स्वर्ग एवं नरक का संपूर्ण उल्लेख पापी अजामिल की कथा एवं भक्त प्रहलाद जी दृढ़ भक्ति के बारे में विस्तार पूर्वक कथा सुनाई अगर मनुष्य में त्याग एवं समर्पण बिना ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है। क्योंकि मोह ओर विषय वासना ईश्वरीय तत्व की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करती है। इसलिए मनुष्य को इन दोनों को परे रखते हुए अपने मन को स्थिर रखना चाहिए। जिससे परम पद की प्राप्ति हो सके। ततपश्चात दिनेशानंदजी महाराज ने राजा जड़ भरत की कथा सुनाई ओर कहा कि मनुष्य के अंतिम समय मे मन में जो ईच्छा होती है उसको अगला जन्म उसी योनि में मिलता है। जिस प्रकार जड़ भरत को मृग योनि प्राप्त हुई। बाल व्यास ने भक्त प्रह्लाद चरित्र का भी सुंदर वर्णन किया और बताया कि भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी के वरदानों की रक्षा करते हुए हिरण्यकश्यप का उद्धार किया। मनुष्य योनि में भगवान का भजन करना चाहिए। भगवान का नाम लेने से मनुष्य जीवन को मोक्ष की प्राप्ति होती है।तृतीय पर दिवस भक्त प्रहलाद जी नरसिंह भगवान एवं हिरण्यकश्यप की सुंदर झांकी के दर्शन करके कथा में विराजमान संपूर्ण श्रोता आनंदित हुए।