धनतेर पर्व धुमधाम से मनाई गई पादूकलां। (दीपेंद्र सिंह राठौड़) कस्बे सहित आसपास ग्रामीण आंचल में आरोग्य के देव का भगवान धन्वंतरि की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई। ग्राम पंचायत डोडियाना के बस स्टैंड स्थित राजकीय आयुर्वेद औषधालय परिसर में धनतेर पर्व धुमधाम से मनाई गई।
राजकीय आयुर्वेद औषधालय आयुष हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में आरोग्य के देवता भगवान धनवंतरी की पूजा कर धन्वंतरि जयंती मनाई गई ।इस अवसर पर औषधालय परिसर मैं औषधीय पादपो का पौधारोपण किया गया एवं सभी के आरोग्य, सुख ,शांति की कामना की गई। डॉक्टर अमित जोशी ने बताया कि भगवान धन्वंतरि आरोग्यता प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इनका पूजन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है व आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
चिकित्सा प्रभारी, डॉ अमित जोशी ने धनवन्तरी भगवान की प्रतिमा पर पुष्प अरपीत कियें। डॉ अमित जोशी ने बताया कि राजकीय आयुर्वेद औषधलय डोडियाना में परिचाम द्वारा भगवान धन्वन्तरि की पूजा की गई। भगवान धववन्तरी की पूजा अर्चना किगई। स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए धनतेरस पर इस तरह करें पूजा कार्तिक मास में त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्व है। खासकर चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान के लिए यह शुभ दिन माना गया है। अधिकांश आयुर्वेदिक औषधियां इस दिन निर्माण के उपरांत अभिमंत्रित की जाती है। माना जाता है कि भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर समुद्र मंथन से इसी दिन प्रकट हुए थे।
लोग इस दिन सोना जैसी महंगी धातु खरीदते हैं। माना जाता है कि इस दिन नई चीज खरीदने से साल भर समृद्धि रहती है। लेकिन अगर आप धन के अभाव में गोल्ड से बनी चीजें नहीं खरीद सकते हैंए तो हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी चीजें जिनको खरीदकर आपके घर में भारी समृद्धि आएगी। धनतेरस के दिन नई चीजें खरीदना पुरानी परंपरा है। इस परंपरा का हिंदू धर्म में खास महत्व है। इसके अलावा इस दिन लक्ष्मी गणेश और धनवंतरी पूजन का भी विशेष महत्व है। धनतरेस पर धनवंतरी और लक्ष्मी गणेश की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक लकड़ी का पट्टा लें और उस पर स्वास्तिक का निशान बना लें। इसके बाद इस पर एक तेल का दिया जला कर रख दें दिये को किसी चीज से ढक दें। लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल के दौरान होना चाहिए। भगवान धनवन्तरी की पूजा अर्चना कर धनतेर पर्व धुमधाम से मनाया गया धन्वंतरी जयंती में भगवान धन्वंतरी आरोग्य के देवता कैसे जाते हैं। भगवान धन्वंतरि जी से संपूर्ण ग्रामीणों के स्वास्थ्य की कामना की जाती है। आयुर्वेदिक की शाश्वत और अनादि काल से चला आ रहा है यह भगवान धनवंतरी के द्वारा लिखा गया इसलिए आयुर्वेद में भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है आयुर्वेद का प्रयोजन स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा करना एवं बीमार व्यक्तियों की चिकित्सा करना है इस अवसर पर ग्रामीणों को मौसमी बीमारियों के बचाव के लिए जो कि अभी हाल ही के अंदर सबसे ’यादा प्रचलन के अंदर डेंगू है उसके लिए क्वाथ पीलाया जा रहा है। ग्रामीणों को डेंगू रोग के लक्षण बचाव व उपचार की जानकारी भी दी गईडेंगू के मुख्य लक्षणों के अंदर तेज बुखार बदन दर्द सिर दर्द आंखों के पीछे दर्द शरीर में थकान आदि लक्षण मिलते हैं। इस रोग में प्लेटलेट्स की संख्या कम होती जाती है अत: इसमें विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। डेंगू रोग की आयुर्वेद चिकित्सा में त्रिभुवन कीर्ति रस संजीवनी वटी गिलोय चूर्ण पपीते के पत्ते का रस बकरी का दूध गिलोय का क्वाथ महासुदर्शन चूर्ण और भी अनेक औषधियां बहुत लाभकारी है। बीच-बीच में लिख देना कि यह डॉ अमित जोशी ने यह बतायाऔषधीय पौधों की जानकारी भी दी और अधिकाधिक औषधीय पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया। इसी प्रकार सथाना कलां के राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय परिसर में भगवान धन्वंतरि जी की विधि विधान से पूजा अर्चना कर स्वास्थ्य और सुख समृद्धि प्राप्त करें चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर राहुल चौधरी ने आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा अर्चना की गई। स्मोकर पर स्थानीय ग्रामीण व प्रतिनिधि सहित इस मौके पर डॉक्टर अमित जोशी चिकित्सा अधिकारी पूजा व्यास नर्स ,योग प्रशिक्षक राजेन्द्र पूनिया, परिचारक मदनाराम सहित स्टाप ग्रामीण उपस्थित थे।