पादूकलां(दीपेंद्र सिंह राठौड़ )कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण आंचल में रविवार को हर्षोल्लास के साथ भैया दूज का पर्व मनाया गया भाई बहन का स्नेह के प्रतीक भाई दूज पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया। भाई दूज के पर्व पर बहन अपने भाई के रक्षा सूत्र बांधकर ईश्वर से दीर्घायु कामना करते हैं भाई अपनी बहन रक्षा करने का संकल्प लेता है।
इस दिन भाई अपनी बहन के ससुराल पहुंचकर भाई का बहन स्वागत करते हैं और शुभ मुहूर्त में भाई की पूजा अर्चना कर भाई की दीर्घायु की कामना करती है भाई को अनेक प्रकार की मिष्ठान पकवान बनाकर भाई को खिलाया जाता है । एक ही घर में रहने वाले भाई बहन इस दिन साथ बैठकर खाना खाते हैं और मान्यता है कि भाई दूज के दिन यदि भाई बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह क्षमता मंगलकारी और कल्याणकारी होता है उसे यम द्वितीया भी कहा जाता है
भाई दूज को यम द्वितीया विकास जाता है इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा का विधान है भाई दूज पर बहने भाई की लंबी आयु और हिंदू धर्म के परंपरा अनुसार बहन भाई की पूजा अर्चना कर भाईकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उज्जवल भविष्य की कामना करती है और भाईअपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है और बहन को भर देता है कस्बे के सभी मोहल्ले में बहन ने अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उज्जवलभविष्य की कामना करते हुए और बहन अपने भाई के तिलक रोली मोली से पूजाअर्चना कर इस दिन बहन के घर बनाने पकवानों महीना अपने भाई को खीर अनेक प्रकार के मिष्ठान खिलाकर उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं
और जिस भाई के बहन नहीं है वह गौ माता की पूजा-अर्चना कर और नदी या तालाब किनारे जाकरअपनी बहन मानकर उनकी पूजा कर उज्जवल भविष्य की कामना करने पंडित रामेश्वरलाल उपाध्याय ने बताया कि हिंदू धर्म के पूर्णत परंपरा के अनुसार दिवाली के दो दिन बाद भैया दूज का पर्व मनाया जाता है इस दिन बहन ने भाई की कलाईपर कई बहने के भाई नहीं है तो मंदिर पहुंचकर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमाके समक्ष तिलक रोली मोली चढ़ाते उनकी पूजा-अर्चना कर और उनकी अपना भाई मानते हैं ।