जोश, जुनून व जज्बे ने दिलाई सूबेदार इकबाल खान को सेवा, परोपकार व शिक्षा में सफलता


78 वर्षीय सूबेदार ने 60 वर्ष की उम्र फिर पढ़ाई शुरू कर 6 विषयों में  स्नातकोत्तर परीक्षा पास कर रिकॉर्ड कायम कर, इतिहास रचते हुए कीर्तिमान स्थापित किया
  पत्रकार बाबूलाल सैनी
लक्ष्मणगढ़ 25 मई। व्यक्ति यदि मन में ठान लें तो हर मुश्किल काम आसान हो सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है 78 वर्षीय जाजोद गांव के सेवानिवृत्त सूबेदार इकबाल खान ने। सूबेदार खान ने सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी जोश, जुनून व जज्बे के दम सफलता दर सफलता हासिल कर शिक्षा हासिल करने में रिकॉर्ड कायम कर इतिहास रचते हुए कीर्तिमान स्थापित कर दिया।


       सूबेदार खान जब सेना में भर्ती हुए तो मात्र हायर सेकेण्डरी परीक्षा पास थे और आज 78 वर्ष की उम्र में 7 विषयों में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल कर चुके हैं। 1973 में स्नातक करने के बाद 1975 पोलिटिकल साइंस एमए किया। सेना से सेवानिवृत्त होने के 14 बाद 60 साल की उम्र पढ़ाई शुरू की तथा 1975 में पोलिटिकल साइंस से,2007 में इंग्लिश लिटरेचर से,2009 में सोशोलॉजी से,2011 में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से,2014 में हिस्ट्री से,2017 हिन्दी लिट्रेचर से व 2022 में उर्दू लिट्रेचर से एमए किया। तीन लिट्रेचर विषयों सहित कुल सात विषयों की स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने वाले सूबेदार इकबाल खान ने लगभग सभी परिक्षाएं पिता पुत्र ने एक परीक्षा केंद्र के कमरे में दी तथा पिता पुत्र के मार्क्स सीट का क्रमांक आगे पीछे है जो संभवतः विश्व  रिकॉर्ड है।
        ‌सूबेदार खान की सेवा, परोपकार व शिक्षा के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल करने पर तत्कालीन जिला कलक्टर ने ग्राम गोद धारक मनोनीत किया। इस दौरान सूबेदार खान को 2011 में गुरु गौरव अवार्ड, 2015 में कायमरत्न, 2017 में जिला स्तरीय सीनियर सिटीजन सम्मान 15 अगस्त 2017 में जिला स्तरीय समारोह में जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित,2018 में तोदी स्नातकोत्तर महाविद्यालय लक्षमनगढ की ओर से एलोमिनी अवार्ड 2019 में इंटरनेशनल सोसायटी लंदन द्वारा शिक्षा में लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड, जनवरी 2025 में एशिया टेलेंट अवार्ड, फरवरी 2025 में भारत गौरव रत्न सम्मान से नवाजे गए। सूबेदार इकबाल खान को विश्व संस्कृति पर्यावरण संरक्षण आयोग ने जनवरी 2025 में ओनरेरी डाक्ट्रेट अवार्ड से सम्मानित किया है ।उन्होंने युवाओं को संदेश में कहा कि अपने जीवन में सद्गुणों को अंगीकृत करें और अपनी रुचि के अनुसार शिक्षा हासिल कर विशिष्टता प्राप्त कर नाम कमाएं, पहचान बनाएं तथा समाज और राष्ट्र की सेवा में जीवन लगाकर मानवता की सेवा करें।
       सेवानिवृत्त होने के बाद सूबेदार इकबाल खान ने 1997 से 2002 तक अध्यक्ष समाज सुधार कमेटी कायमखानी महासभा राजस्थान की जिम्मेदारी निभाई जबकि 2002 से 2009 तक प्रधानाध्यापक बालिका विद्यालय मदरसा मंगलूणा में बालिका शिक्षा उत्थान के लिए कार्य किया, 2009 से  2020 तक प्रशिक्षक श्री साईं गणेश मिलीट्री फाउंडेशन अहमदपुर महाराष्ट्र में अपनी सेवाएं देते हुए यहां लगभग दस हजार युवाओं को सेना में भर्ती योग्य बनाया और बेरोजगारों को नौकरी प्राप्त करने में मदद की। इसी दौरान रोयल चिल्ड्रेन एकेडमी बेरी छोटी, सरस्वती बाल निकेतन जाजोद,संगम इंग्लिश मीडियम स्कूल तोशाम हरियाणा,ताज ग्लोबल एकेडमी धानणी में भी अध्यापन का कार्य किया है।वर्तमान में संयोजक एवं संरक्षक पूर्व सैनिक वेलफेयर समिति जाजोद की जिम्मेदारी निभा रहे है। सेना में सेवा के दौरान 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सूबेदार खान ने बंगलादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सेदारी भी निभा चुके हैं। वर्तमान में कायम रत्न डॉ इकबाल खान सूबेदार ने अरबी भाषा सीखना शुरू किया है ताकि कुरान मजीद का अध्ययन कर सके ।

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Author: Aapno City News

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