
फुलेरा (दामोदर कुमावत) कस्बे के श्रीरामनगर स्थित दादू आश्रम पर श्री चातुर्मास सत्संग ज्ञान यज्ञ जारी समारोह में गुरुवार को श्रीमद् दादू वाणी एवं भक्तमाल कथा के दौरान बड़ी संख्या में पधारे नर नारी श्रद्धालुओं को आश्रम महंत संगीताचार्य संत रामप्रकाश स्वामी ने प्रवचन के दौरान बताया कि” काया मांहि शोध सार, दादू कहे लेह सो पार । अर्थात महान संत दादूदयाल महाराज ने कहा है कि मनुष्य की काया नगरी में पांच ज्ञानेंद्रियां , पांच कर्मेंद्रियां तथा चार अंतरण इंद्रियां होती है।

अंतःकरण की मन, चित, बुद्धि एवं अंधकार रूपी इंद्री होती है। जबकि ज्ञानेंद्रिय में कान जो शब्द सुनते हैं, आंख जो रूप देखते हैं, रस जो जिव्या का कार्य है, गंध जो नाक की क्रिया है तथा त्वचा जो स्पर्श की जाती है, वहीं उन्होंने कामेंद्रियों के पांच तत्व बताएं, जिनमें हाथ, पैर, वाणी, गुद्दा व उपस्त, जो मनुष्य इन 14 इंद्रियों की काबू में कर लेता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। इसी के साथ स्वामी रामप्रकाश महाराज ने कहा कि मनुष्य को अहंकार रूपी जीवन नहीं जीना चाहिए,क्योंकि अहंकार ही मनुष्य के पतन का कारण बन जाता है। उन्होंने इस अवसर पर दीनता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परमात्मा दीनता पर अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इस मौके पर उन्होंने राजा ध्रुव,भक्त प्रहलाद, द्रोपती व गज की दीनता पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि इनका नाम इस युग में भी भगवान और भगत के रूप में माना जाता है, यह दीनता का ही प्रमाण है। इस अवसर पर आश्रम प्रबंधक धर्मदास स्वामी ने बताया कि चातुर्मास कार्यक्रम के दौरान हर रोज श्री दादू वाणी एवं भक्त माल की विभिन्न परमार्थ और जन उपयोगी कथाएं एवं प्रवचन जारी रहेगी। आज के सत्संग में सैकड़ो नर, नारिया एवं श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे।


Author: Aapno City News
