भागवत कथा में कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई, सजीव झांकी सजाई


[बाबूलाल सैनी]पादूकलां । कस्बे के सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सामने स्व भंवर राघवेंद्र सिंह शेखावत की स्मृति में संगीतमय भागवत कथा चल रही जिसके चतुर्थ दिवस पर कथावाचक पंडित दिनेशानंदजी महाराज ने कहा कि भगवान के 24 अवतारों की कथा ही भागवत है भागवत की स्थापना मनुष्य के कल्याण के लिए हुई है क्योंकि भागवत तो एक ऐसा फल है जिसे प्राणी जितना ज्यादा ग्रहण करता है

उतना ही स्वाद बढ़ता जाता है चतुर्थ दिवस की भागवत कथा में पंडित दिनेशानंद जी महाराज ने बताया मन को नियंत्रित रखो क्योंकि अनियंत्रित मन ही आपके और आपकी सफलता के बीच का कांटा है गलत लोग सभी के जीवन में आते हैं लेकिन सिख हमेशा सही देखकर जाते हैं वक्त दिखाई नहीं देता पर बहुत कुछ दिखा देता है ठीक उसी प्रकार राक्षसों के राजा बलि को अहंकारी होने के कारण कुछ दिखाई नहीं दे रहा था किंतु समय आने पर मायाधिपति विष्णु ने वामन का रूप बनाकर के उसके अहंकार और घमंड को नष्ट कर दिया महाराज जी के श्रीमुख से संक्षिप्त रामअवतार की कथा सुनाई जिसे संपूर्ण श्रोता भाई-भाई के प्रेम की कथा सुनकर बड़े आनंदित महसूस हुई भारत वर्ष में हो रही गौमाता की दुर्दशा पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में माता-पिता, गरीब एवं वृद्धजनों की तथा गौमाता की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए।

आज हिन्दु समाज सनातन संस्कृति को छोडक़र निरन्तर गौमाता का तिरस्कार कर रहा हैं जो कि काफी दुख:द बात है। हमें हमारी सनातन संस्कृति को जीवित रखना है हम सभी सनातन धर्मी है। और हम देखते है कि विभिन्न तरीकों से हमारे सनातन धर्म का अपमान होता है। इसलिए यह प्रत्येक सनातनी का कर्तव्य है कि जहां पर अपने धर्म का अपमान हो वहां आवाज उठाकर अपने धर्म की रक्षा करे। जो मनुष्य अपने धर्म की रक्षा नहीं कर सकता वह सबसे बड़ा अधर्मी है। ततपश्चातपंडित दिनेशानंदजी महाराज ने कथा में राजा बलि ओर वामन भगवान की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेके राजा बलि से तीन पैर भूमि लेके बली राजा का उद्धार किया। दिनेशानंदजी महाराज ने सूर्यवंश का वर्णन करते हुए राम जन्म, सीता हरण, सुग्रीव और हनुमान मिलन, रावण वध और पुन: अयोध्या आगमन तथा राज्याभिषेक इत्यादि की कथा का श्रवण करवाया। कथा में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। कथा के दौरान जैसे भगवान का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान लोग झूमने-नाचने लगे।और जन्मोत्सव के दौरान पांडाल नृत्य से झूम उठा। कथा के मध्य वामन अवतार व दिव्य राम दरबार और कृष्ण जन्मोत्सव की सजीव झांकियां सजाई गई।पंडित दिनेशानंदजी महाराज ने बताया कि आज ही के दिन बालकृष्ण ने कंस जैसे पापी का उद्धार करने हेतु अवतार लिया महाराज जी ने बताया जब-जब धर्म की हानि होती है तब तो भगवान समय-समय पर अवतार अलग-अलग रूप में अवतार लेते हैं ठीक उसी प्रकार पृथ्वी के पाप का भार बढ़ाने के कारण भगवान ने बाल गोपाल के रूप में जन्म मथुरा मे जन्म लेकर गोकुल मे प्रवेश किया छोटे बाल गोपाल की झांकी देखकर के संपूर्ण श्रोता आनंदित हुए कथा के दौरान महिला व पुरूष श्रद्धालु उपस्थित थे।

Aapno City News
Author: Aapno City News

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