श्री खाटू श्याम मंदिर परिसर में सोमवार को कार्तिक कृष्ण पक्ष पवित्रा रमा एकादशी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया

पादूकलां।(दीपेंद्र सिंह राठौड़)       कस्बे के बस्सी की ढाणी स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर परिसर में सोमवार को कार्तिक कृष्ण पक्ष पवित्रा रमा एकादशी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया सोमवार को सुबह मंगला आरती के बाद महिलाओं द्वारा भजन कीर्तन और बाबा श्याम का दिव्य श्रृंगार किया।

मंदिर की पुजारी पुखराज दुबे ने बताया कि श्याम मित्र मंडल विकास समिति के द्वारा एक रमा एकादशी पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजन हुआ। कीर्तन का दौरा जारी है। श्याम प्रेमी बाबा श्याम मंदिर की चौखट पर धोक लगाकर अपने परिवार की खुशहाली की कामना की। बाबा श्याम के दीवानों का लगातार रेला बढ़ता ही जा रहा है।

मेड़ता सिटी से श्याम प्रेमी बाबा श्याम के दर्शन करने पहुंचे और फलोदी से भी श्याम प्रेमी बाबा श्याम  दर्शन किया। रियांबड़ी सहित आस पास से आए श्याम प्रेमी बाबा का निशान लेकर जय श्री श्याम के जयकारे लगाते हुए बाबा श्याम के दर्शन किए और अपने परिवार और देश व प्रदेश की खुशहाली की कामना की श्री हरि को समर्पित कार्तिक महीने में रमा एकादशी आती है।विष्णु भक्त रमा एकादशी का व्रत रखने से जीवन में समृद्धि बढ़ती है और मनोकामना पूर्ण होती है।

कार्तिक से बड़ा कोई मास नहीं होता और एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं। दोनों ही भगवान विष्णु को अति प्रिय है। एकादशी का व्रत मनुष्य को मोक्ष की ओर प्रशस्त करता एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और रमा मां लक्ष्मी का ही एक नाम है। मान्यता है कि इस तिथि में व्रत करने वालों को भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी विशेष कृपा होती है। रमा एकादशी कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। एक पवित्र दिन है जब भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। यहाँ शुभ मुहूर्त का समय देखें। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन मनाई जाने वाली रमा एकादशी को हिंदू परंपरा में सबसे शुभ एकादशियों में से एक माना जाता है। शास्त्र के अनुसार कार्तिक से बड़ा कोई मास नहीं होता और एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं। दोनों ही भगवान विष्णु को अति प्रिय है। एकादशी का व्रत मनुष्य को मोक्ष की ओर प्रशस्त करता है। एकादशी का व्रत भौतिक सुखों की कामना के लिए नहीं अपितु भागवत प्राप्ति के लिए करनी चाहिए। इस दिन भगवान को तुलसी युक्त भोग अर्पण करना चाहिए और व्रत करने वाले को अन्न का त्याग करना चाहिए। फलाहारी रहकर व्रत को पूर्ण कर सकते हैं। महिलाओं को विशेषकर सुख और सौभाग्य दोनों प्राप्त होते हैं। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

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Author: Aapno City News

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