
समवशरण में चारों गति के जीव विराजमान रहते हैं: मुनि श्री प्रणम्यसागर महा.
फुलेरा (दामोदर कुमावत)
श्री दिगंबर जैन समाज के तत्वाधान में एवं परमपूज्य मुनि श्री प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में एवं प्रतिष्ठा आचार्य मनोज कुमार शास्त्री एवं शुभम शास्त्री के निर्देशन में गुरुवार को पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में तप, कल्याणक एवं ज्ञान कल्याण के कार्यक्रम हुए।

प्रातःजापअनुष्ठान के बाद महाराजा आदिनाथ की राज्यसभा में नीलांजना नाम की नृत्यकी के अचानक गिरकर मर जाने से महाराज आदिनाथ को वैराग्य उत्पन्न हो गया, और उसके बाद महाराज ने अपने पुत्र भरत चक्रवर्ती को सारा राज पाठ छोड़ कर मुनि दीक्षा धारण कर लेते हैं।

मुनि श्री आदिनाथ को पीच्छी एवं कमंडल भेंट किया जाने के बाद मुनिआदिनाथ समस्त राज वैभव छोड़कर वन गमन कर संयम पथ पर निकल पड़े। तत्पश्चात मुनिआदि नाथ आहार के लिए गए सर्वप्रथम राजा श्रेयास के यहां इक्षु रस का आहार हुआ। इन प्रवचन कार्यक्रम के बाद पूज्य मुनि श्री की आहार चर्या हुई।

आज का आहार दुलीचंद राजकुमार गंगवाल के निवास पर हुआ,केवल ज्ञान कल्याण क के कार्यक्रमों में भगवान का समवशरण की रचना हुई। समवशरण में चारों गति के जीव विराजमान रहते हैं। जहां तीर्थंकर भगवान दिव्यध्वनि खीरती है, जिसके द्वारा पृथ्वी के समस्त जीवों का कल्याण होता है।


Author: Aapno City News
