

मानसून की बारिश के बाद वापस लौटने लगे पशुपालक
मेड़तासिटी में हरे चारे की उपलब्धता के कारण पशुपालकों की वापसी
मेड़तासिटी, (तेजाराम लाडणवा ) राजस्थान में पशुपालन एक समृद्ध परंपरा है, जिसमें पशुपालक गाय, भैंस, बकरी, भेड़ जैसे पशुओं का पालन करते हैं। लेकिन चारे और पानी की कमी के कारण पशुपालकों को अपनी रेवड़ लेकर दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। अब मानसून की बारिश के बाद पशुपालक वापस अपने घरों को लौटने लगे हैं।
नागौर जिले में पशुपालन एक प्रमुख व्यवसाय है, जहां पशुपालक फाल्गुन महीने में चारा-पानी की कमी के कारण अपनी रेवड़ लेकर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं। लेकिन अब मानसून की बारिश के बाद क्षेत्र में हरे चारे की उपलब्धता के कारण पशुपालक वापस लौटने लगे हैं।
पशुपालकों का कहना है कि वे अपने पशुओं के लिए चारा-पानी की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं, जहां उन्हें अपने पशुओं के लिए पर्याप्त चारा-पानी मिल जाता है। लेकिन मानसून की बारिश के बाद जब क्षेत्र में हरा चारा उगने लगता है, तो वे वापस अपने घरों को लौट आते हैं।
इस समय पशुपालक अपने रेवड़ के साथ वापस लौट रहे हैं और अपने घरों में पहुंचकर अपने पशुओं की देखभाल में जुट जाएंगे। पशुपालकों का कहना है कि वे अपने पशुओं के लिए चारा-पानी की व्यवस्था करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अब मानसून की बारिश के बाद उन्हें अपने पशुओं के लिए पर्याप्त चारा-पानी मिल जाएगा।


Author: Aapno City News
