आनंद, अस्तित्व की वह अवस्था है जिसमें कोई निर्भरता नहीं होती, क्यों कि जहां भी निर्भरता है,भय है।।
के के ग्वाल जी नाथद्वारा और भयभीत आदमी कभी प्रसन्न, आनंदित नहीं हो सकता।” दूसरे से सुख चाहिए तो भय,शंकादि होंगे ही क्यों कि दूसरे का ठिकाना नहीं।केवल स्वयं पर ही भरोसा किया जा सकता है।इसके लिए स्वयं को ही समग्रता से समझना होगा ताकि आत्मनिर्भर होकर जीया जा सके।“You must understand it,go into it, … Read more