(बाबूलाल सैनी) पादूकलां।कस्बे के सीनियर सेकेंडरी स्कूल के सामने संगीमय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन में स्व भंवर राघवेंद्र सिंह शेखावत की स्मृति में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में द्वितीय दिवस पर महिलाओं बच्चों और बुजुर्गों का जन सैलाब रहा कथा व्यास पंडित दिनेशानंद महाराज ने कहा कि भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती,
जब तक प्राणी काम और लोभ में भक्ति करता है तब तक कितना भी विद्वान हो जाए भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता भागवत प्राप्ति का प्रमुख मार्ग केवल भागवत श्रवण पान है जब तक शरीर में जितनी चैतन्य अवस्था रहती है तब तक जीव को भागवत का रसपान करना चाहिए।जब तक प्राणी काम और लोभ में भक्ति करता है तब तक कितना भी विद्वान हो जाए भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है।राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।कथा व्यास जी ने उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया । ध्रुव की कथा यह संदेश देती है की भक्ति में उम्र कोई बाध्य नहीं होती।पंडित दिनेशानंदजीं शास्त्री द्वारा कौरव- पांडव युद्ध, परीक्षित जन्म, और श्रृंगी ऋषि द्वारा श्राप सुखदेव जी द्वारा राजा परीक्षित को कथा श्रवण, धर्म की स्थापना का उद्देश्य पृथ्वी पर नर और नारी का उत्पन्न होने ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का निर्माण एवं ध्रुव जी का जन्म एवं श्रद्धालुओं को सुंदर झांकी का दर्शन कराया गया।