जल संरक्षण को लेकर नही ठोस कदम
संखवास. तालाब सिर्फ पानी का स्रोत ही नहीं सामाजिक और संस्कृति का भी केंद्र है। प्राकृतिक संसाधनों पर जीने का एक जरिया है। लेकिन आज सरकार और प्रशासन की अनदेखी लोगों की उपेक्षा के कारण प्राकृतिक जल स्रोतों का वजूद मिटने के कगार पर है। अधिकांश तालाब बदहाली का शिकार हो रहे हैं। दियावड़ी गांव का मुख्य जल स्त्रोत गवाई नाडी भी गंदगी का शिकार हो रही है।
*ग्राम पंचायत दे ध्यान*
जल स्रोतों की उपेक्षा का ही नतीजा है कि गंवाई नाडी के आसपास अंगोर में कंटीली झाड़िया उगी हुई हैं। पानी निस्तारण के लिए भी माकूल सुविधा नहीं है। इधर, जागरूकता के अभाव और अंगोर में खड़ी झाड़ियों के कारण गंवाई नाडी अपना मूल रूप खो रही हैं। बदहाली के शिकार प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए कई बार प्रयास भी किए गए हैं। लेकिन, सही तरह से क्रियान्वयन नहीं होने के कारण उनका सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहा है। सरकारी स्तर पर तालाबों में साफ-सफाई की कोई योजना नहीं है। जिसके कारण तालाब अतिक्रमण और प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं। ग्राम प्रशासन द्वारा समय समय पर इस नाडी में नरेगा चला कर मिट्टी खोद कर खानापूर्ति की जा रही है। मगर कंटीली झाड़ियों की तरफ प्रशासन का ध्यान नही जा रहा है। प्राकृतिक जल स्रोतों के रखरखाव को लेकर सही कार्ययोजना नहीं होने के कारण तालाब का अस्तित्व विलुप्त होने के कगार पर है।
*कंटीली झाड़ियां बन रही है शराबियों का अड्डा*
ग्रामीण रामचंद्र, अर्जुनराम, प्रकाश, कैलाश, रामकुंवार गुर्लिया आदि का कहना है कि इन गंवाई नाडी के अंगोर में उगी कंटीली झाड़ियों की तरफ कोई ध्यान नही दे रहा है। जिसके कारण तालाब में पानी आने की रुकावट पैदा हो रही है। वंही नशेड़ी इन झाड़ियों में बैठकर शराब का सेवन करते हैं और खाली बोतले यंही फेंक देते है। इस कारण नाडी का पानी दूषित हो रहा है। उनका कहना है ग्राम पंचायत को इस गंवाई नाडी के अंगोर की इन झाड़ियों को काटकर सफाई करनी चाहिए ताकि बरसात के समय गांव के मुख्य जल स्त्रोत में अंगोर से पानी की आवक व शुद्ध जल आ सके। नही तो इस तालाब का दायरा अतिक्रमण की चपेट में विलुप्त होता जाएगा।
*झाड़ियों से नही हो रही है पानी की आवक*
क्षेत्र के आसपास तालाबों की बात करें तो ज्यादातर तालाब या तो अतिक्रमण के शिकार हो चुके हैं या फिर प्रशासन की उपेक्षा में दम तोड़ रहे हैं। विभागीय उपेक्षा के कारण तालाब का वजूद मिटने के कगार पर है। मिट्टी, कूड़ा-कचरा डालकर तालाब भरे जा रहे हैं। बड़ी संख्या में तालाबों में काई व कचरा पसरा हुआ है। जिसके कारण नाडी में पानी आने का रास्ता अवरुद्ध हो रहा हैं। जिससे उनमें अधिकांश बारिश का पानी संग्रहित नहीं हो पा रहा है। तालाब के क्षेत्र में साफ सफाई नही होने के कारण व कंटीली झाड़ियों के कारण बारिश के मौसम में पानी की आवक नही हो रही है। इसके कारण तालाब सूखने के कगार पर है।
*वर्षा जल संचयन का नहीं दिख रहा ठोस प्रबंध*
जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। पानी की कमी नहीं रहे, इसके लिए बारिश के पानी का संरक्षण और संग्रहण सबसे बेहतर उपाय है। यह लगातार गिरते भू-जलस्तर के लिहाज से न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे पानी की किल्लत को दूर किया जा सकता है। वर्षा जल संग्रहण की प्रक्रिया कई स्तरों पर अपनाई जाती है। मकान और सार्वजनिक जगहों से लेकर तालाब और कुआं जैसे प्राकृतिक स्रोत के माध्यम से वर्षा जल संग्रहण को लेकर सरकारी स्तर पर कई योजनाएं बनाई गई। लेकिन, लोगों में जागरुकता की कमी और सरकारी एजेंसियों की लापरवाह कार्यशैली की वजह से ये योजनाएं अब तक अपेक्षित मुकाम को हासिल नहीं कर सकीं।
*इनका कहना है*
“पानी की समस्या को सभी लोग समझ रहे हैं और चर्चा भी होती है, लेकिन जल संरक्षण को लेकर कोई ठोस पहल दिखाई नहीं दे रही है।” रामकुंवार गुर्लिया स्थानीय ग्रामीण
“तालाबों के बिना पानी के स्तर को बचा पाना बेहद मुश्किल है। पानी की समस्या सभी को है। लेकिन, पानी बचाने का काम कोई नहीं कर रहा है।” प्रकाश स्थानीय ग्रामीण
“तालाबों को बचाना है तो एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। किसी एक व्यक्ति या सिर्फ सरकार के चाहने से यह संभव नहीं है। इसलिए सभी को आगे आना होगा।” अर्जुनराम स्थानीय ग्रामीण
“जल संरक्षण और प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने के लिए ग्राम पंचायत पूरी तरह प्रयासरत है। एक दो दिन में लेबर लगा कर अंगोर की सफाई करवा देंगे।” शोभा देवी सरपंच ग्राम पंचायत सैनणी